Sunday , May 4 2025

वर्तमान समय में भारत के समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियाँ हैं-

संविधान का लक्ष्य संप्रभु एवं समृद्ध भारत का निर्माण -अश्विनी उपाध्याय

समारोह में वक्तव्य रखते हुए श्री अश्विनी उपाध्याय। अन्य मंचस्थ हैं, बांये से सर्वश्री डॉ. तारा दूगड़, महावीर बजाज, हरिमोहन बांगड़, सज्जन कुमार तुल्स्यान, भागीरथ चांडक एवं बंशीधर शर्मा।

 

जनसंख्या  विस्फोट, धर्मांतरण एवं विदेशी घुसपैठ। इन तीनों समस्याओं के समाधान का दायित्व समाज से
कहीं अधिक सरकार का है। संस्कार युक्त शिक्षा एवं सुदृढ़ न्याय व्यवस्था से ही इन समस्याओं
का निराकरण कर समृद्ध भारत का निर्माण किया जा सकता है। स्वतंत्रता के पश्चात संप्रभु
भारत का निर्माण हमारे संविधान का लक्ष्य है और गुलामी की व्यवस्थाओं को समाप्त किये
बिना वांछित संपन्नता प्राप्त नहीं की जा सकती।.. ये उद्गार हैं विशिष्ट राष्ट्रवादी चिंतक एवं
सुप्रीम कोर्ट के निष्णात विधिवेता श्री अश्विनी उपाध्याय के, जो स्थानीय रथीन्द्र मंच में श्री
बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित आठवां कर्मयोगी जुगल किशोर जैथलिया
स्मृति व्याख्यानमाला के अवसर पर  वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत के समक्ष चुनौतियाँ एवं
समाधान विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

श्री उपाध्याय ने बताया की जनसंख्या विस्फोट वर्तमान भारत की बड़ी समस्या है। वांछित एवं
अवांछित जनसंख्या वृद्धि में अनिर्णय की स्थिति इसके लिए जिम्मेवार है और यह देश के
संसाधनों पर भारी पड़ रही है। बीज अच्छा होगा तभी फसल अच्छी होगी, इसके लिए वैदिक
शिक्षा प्रणाली का पुनस्र्थापन आवश्यक है।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे भारतीय संस्कृति के संपोषक सुप्रसिद्ध उद्योगपति एवं
समाजसेवी श्री हरिमोहन बांगड़ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि समृद्ध भारत के
निर्माण के लिए प्रांतीयता से ऊपर उठकर काम करने वाले राष्ट्रनायकों की आवश्यकता है। इसके
अभाव में केवल खिलाड़ियों एवं फिल्म स्टार को राष्ट्रीय हीरो मान लेना समस्याओं का समाधान
नहीं है। समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आयकर सलाहकार श्री सज्जन कुमार तुल्स्यान ने जैथलिया जी
के सामाजिक-साहित्यिक-राजनीतिक अवदानों का स्मरण करते हुए उन्हें असाधारण व्यक्तित्व का
धनी बताया।

आज के संदर्भ में उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की आड़ में समाज को दो विचारधाराओं में

बांटने का कुचक्र ही अधिकांश समस्याओं की जड़ है। साथ ही

उन्होंने कई कानूनों में  परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया।

समारोह का प्रारंभ सुप्रसिद्ध गायक श्री सत्यनारायण तिवाड़ी के उद्बोधन गीत से हुआ।
अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया सर्वश्री बंशीधर शर्मा, आचार्य राकेश पाण्डेय, अजय
चौबे, सत्यप्रकाश राय, अरुण प्रकाश मल्लावत एवं श्री योगेशराज उपाध्याय ने। स्वागत भाषण
किया पुस्तकालय के अध्यक्ष श्री महावीर बजाज ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया उपाध्यक्ष श्री
भागीरथ चांडक ने।

कार्यक्रम का कुशल संचालन किया वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. तारा दूगड़ ने।

समारोह में सर्वश्री सज्जन बंसल, रमेश सरावगी, बनवारीलाल सोती, शिवकुमार लोहिया, आर. के.
राकेश, बुलाकीदास मीमाणी, श्री बल्लभ नागौरी, सागरमल गुप्ता, डॉ. महेश माहेश्वरी, मीनादेवी
पुरोहित, डॉ. बिन्देश्वरी प्रसाद सिंह, डॉ. वसुमति डागा, शशि अग्रवाल, तमध्नो घोष,स्नेहलता बैद,
शंकरलाल अग्रवाल, रामगोपाल सूंघा, महावीर प्रसाद रावत, अजय मिश्रा, कमलेश पाण्डेय, राजेन्द्र
कानूनगो, हरिश तिवाड़ी, भंवरलाल मूंधड़ा, धनश्याम चौरसिया, भागीरथ कांकाणी, अनिल ओझा
नीरद, डॉ. रामप्रवेश रजक, जसवंत सिंह, मुल्तान पारीक, चंपालाल पारीक, अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी,
संजय रस्तोगी, ब्राहृानंद बंग, दयाशंकर मिश्र, प्रदीप सूंटवाल, रविप्रताप सिंह, संजय मंडल, राजेश
अग्रवाल लाला, सत्यनारायण दरगड़, सम्पत मानधना, पुरुषोत्तम तिवाड़ी, जयप्रकाश सेठिया, डॉ.
कमल कुमार, पंकज सिंघानिया, श्रीमोहन तिवारी, वेदप्रकाश गुप्ता, सुनील हर्ष एवं श्रीराम सोनी
प्रभृति विभिन्न क्षेत्रों से अनेक गणमान्य लोगों से सभागार खचाखच भरा था।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री नन्दकुमार लढ़ा, रामचन्द्र अग्रवाल, चन्द्रकमार जैन, रमाकान्त
सिन्हा, भागीरथ सारस्वत, राजकुमार भाला, बृजेन्द्र पटेल एवं अरुण कुमार प्रभृति सक्रिय थे।

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