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श्राद्ध पक्ष में गाय, कुत्ते कौए और चींटी को भोजन देने की परंपरा

श्राद्ध  पक्ष में गाय, कुत्ते  कौए  और  चींटी  को भोजन देने की परंपरा 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पितृ पक्ष में श्राद्ध अनुष्ठान  के समय  तीन पत्तलों पर भोजन रख कर सर्वप्रथम गाय, कुत्ते और फिर कौए को दिया जाता है।  इन्हे भोजन देने के पीछे कोई न कोई 
कारण बताया गया है जैसे :
१. गाय :  कहते है गाय में सभी देवताओं का वास होता है अतः गाय को भोजन कराने से देवता प्रसन्न होते है और धन -धान्य व् सुख में वृद्धि होती है।
 

 

 

 

 

 

२, कुत्ता : कुत्ते को भोजन कराने से भैरव जी  प्रसन्न  होते है,  कुत्ते को भोजन कराने से  राहु – केतु  का बुरा प्रभाव ख़त्म होता है। दुश्मनों  का भय नहीं रहता।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

३. कौआ :  अधिकतर लोगो से उपेक्षित, तिरस्कृत, दुत्कारे जाने वाले कौए का भी समय एक वर्ष में पूरे पंद्रह दिन के लिए आता है लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल भी भी नहीं कि बाकी के 350 दिन कौए को  कोई पूछता नहीं अरे जिस घर में  किसी का निधन हो जाता है  उस घर में होने वाले भोज में सबसे पहले कौए के लिए ही पत्तल निकाली जाती है। यही वजह है कि लोग कौए को बहुत ही निकृष्ट समझते  है जबकि ऐसा        नहीं है.  यमराज का सन्देश वाहक,  शनि देव का वाहन,  इंद्रदेव  का पुत्र जयंत, कौआ है। रामचरित मानस में इंद्र के पुत्र जयंत ने कौए का रूप धर  कर  माता सीता के पैर में अपनी चोंच मारी  थी तब भगवन राम ने सजा स्वरुप उसकी एक आंख फोड़ दी।  इंद्र पुत्र जयंत के माफ़ी मांगने पर उसे क्षमा करते हुए आशीर्वाद दिया कि पितृपक्ष में उसे  (कौए) दिया जाने वाला भोजन  पितरलोक में  निवास करने वाले  पितरों को प्राप्त होगा। तब से ये धारणा बन गई कि कौए के अंदर पितरों का वास है या पितृ कौआ बनकर भोजन ग्रहण करने आते है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

४. चींटी : चींटी के बिल में चुरा करके भोजन डाला जाता है या पत्तल में रखा जाता है।  चीटियों को भोजन कराने से सुख -समृद्धि आती है। 
ये सनातन धर्म की उदारता  एवं  व्यवहारिकता है कि बहुत से पेड़ पौधों , पशु – पक्षियों को किसी न किसी रूप में मान्यता दी गई है.  वो चाहे पीपल, बरगद, नीम, इमली , आंवला , कैथा, आम, केला हो या        छोटा सा तुलसी का पौधा इन सभी की अनिवार्यता  सनातन  धर्म का पालन करने वाले जानते है।  ऐसे ही जानवरों में शेर, हाथी,गाय, बैल, भैसा, सूअर, कुत्ता,घोड़ा, चूहा आदि. पक्षियों में : हंस , मोर, उल्लू ,   गरुण , कौआ, नीलकंठ, तोता, बगुला, गौरैया आदि किसी न किसी रूप में पूज्यनीय है .
 

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