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डाक्टर मनीष शुक्ला की पुस्तक प्रोफेसर के लाल का लोकार्पण

समाज में रोशनी की उम्मीद जगा रहा साहित्य : विधान सभा अध्यक्ष

विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने डॉ मनीष शुक्ल के कहानी संग्रह प्रोफेसर माँ के लाल, वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री की किताब भुला न देना और महाशून्य का विमोचन किया
लखनऊ| उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने डिजिटल युग में साहित्य लेखन का भविष्य उज्ज्वल बताया| लखनऊ पुस्तक मेले में जाने माने लेखकों की किताबों का विमोचन करते हुए उन्होने कहा कि मोबाइल के डिब्बों से निकलकर पुस्तक मेले मेन नजर आ रही भीड़ उम्मीद जागा रही है| उन्होने तकनीक और साहित्य के संगम को जरूरी बताया| अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कथाकार, व्यंग्यकार व कवि डॉ. मनीष शुक्ल की पुस्तक प्रोफेसर माँ के लाल के साथ ही वरिष्ठ पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री की किताब भुला न देना और रश्मि कौशल की किताब महा शून्य का विमोचन किया|
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि श्री महाना ने कहा साहित्य का सागर अनंत है| पत्रकार और साहित्यकार मिलकर समाज की दिशा बदल सकते हैं| और देश का सकारात्मक विकास कर सकते हैं| उन्होने विधान सभा में आमंत्रित करते हुए पत्रकार साहित्यकारों से चर्चा का आह्वान किया| प्रोफेसर माँ के लाल कहानी संग्रह के लेखक डॉक्टर मनीष शुक्ल ने कहा कि कहानियाँ आपके आसपास बिखरी हुई हैं। बस उनको शब्दों में पिरोने की जरूरत है| प्रोफेसर माँ के लाल भी जीवन में होने वाली घटनाओं से ली गई कहानियों का संग्रह है| श्रीधर अग्निहोत्री ने अपनी किताब भुला न देना के विषय में बताया कि किताब में उन कलाकारों को जिक्र है जो कभी सिनेमा और टीवी के सुपर स्टार थे लेकिन वक्त के साथ उनकी चमक फीकी पड़ गई और वो भुला दिये गए| ये किताब ऐसे ही कलाकारों को याद करती है| इस अवसर पर शिल्पायन बुक्स द्वारा डॉ मनीष शुक्ल, श्रीधर अग्निहोत्री एवं डॉ रश्मि कौशल को के. पी. शर्मा स्मृति साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। समारोह में विशिष्ट अतिथि ज्योत्स्ना सिंह, अलका प्रमोद, रेखा बोरा, सुरेश बहादुर सिंह, सिद्धार्थ कलहंस, डॉक्टर शिल्पी शुक्ला, पंचानन मिश्र, मनोज शुक्ल मनुज, राजीव तिवारी, गजल गायक सरभजीत सिंह आदि उपस्थित रहे| समारोह के दूसरे सत्र में चर्चित कवियों ने काव्यपाठ किया|

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