- पुण्यतिथि पर याद किए आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री
- कोलकाता 16 अप्रैल। “जीवन में उत्थान पतन आयेंगे किन्तु हमें विचलित नहीं होना हैं- यह हम शास्त्री जी के जीवन में पाते हैं। शास्त्रीजी के व्यक्तित्व की चर्चा तो हम सब करते है किन्तु उनके कर्तृत्व एवं साहित्य की चर्चा युवा पीढ़ी को करनी चाहिए।’ ये विचार हैं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी के, जो मंगलवार को कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री की 19वीं पुण्यतिथि पर अपने भावोद्गार प्रकट कर रहे थे। सभा की अध्यक्षता की कवि एवं साहित्यकार श्री अनिल ओझा “नीरद’ ने एवं शास्त्रीजी को परम रामभक्त बताया।
पुस्तकालय के अध्यक्ष श्री महावीर बजाज एवं मंत्री श्री बंशीधर शर्मा ने कुमारसभा पुस्तकालय के मार्गदर्शक के रूप में शास्त्रीजी के अवदानों एवं संस्मरणों का स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रारंभ में श्री हिमांशु सोनी नें “सीताराम सीताराम सीताराम कहिए, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए’ गीत की सस्वर प्रस्तुति दी। कुशल संचालन किया पुस्तकालय के उपमंत्री श्री सत्यप्रकाश राय ने तथा अध्यक्ष का अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया अर्थमंत्री श्री अरुण प्रकाश मल्लावत ने।
सर्वश्री डॉ. बसुमति डागा, डॉ. कमलेश जैन, संजय मंडल, डॉ. कमल कुमार, परमजीत पंडित, दीक्षा गुप्ता एवं दिव्या प्रसाद आदि ने शास्त्रीजी के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों का भावपूर्ण स्मरण किया। सर्वश्री नन्दकुमार लढ़ा, रमाकान्त सिन्हा, दुर्गा व्यास, अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी, संजय रस्तोगी, रविप्रताप सिंह, राजाराम बिहानी, गंगासागर प्रजापति, अरविन्द तिवारी, पूजा प्रसाद, चन्द्रकुमार जैन, भागीरथ सारस्वत, सीताराम तिवाड़ी, प्रभुदयाल पारीक, अनिल मल्लावत, उमेश चमड़िया, किशन गोपाल सूंठवाल, रामचन्द्र अग्रवाल, प्रदीप धानुक, विनोद यादव, श्रीमोहन तिवारी एवं अरुण सिंह प्रभृति ने भी अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
(बंशीधर शर्मा, मंत्री)
श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय