कवि सम्मेलन में बहुभाषी कविताओं का आनंद लिया गया
फादर फ्रांसीस डॉक्टर सुनील रोजारिया के संयोजन में सैयद इरफान शेर और प्रोड्यूसर ताजा टीवी के वरिष्ठ संपादक विश्वंभर नेवर द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में हिंदी कवि, बांग्ला कवि और उर्दू कवियों का जमावड़ा रहा।
फादर सुनील रोजारियो पिछले 45 वर्षों से प्रीस्ट हैं और अभी बारासात चर्च में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। 21 अप्रैल 1979 में आपने अपनी यह यात्रा आरंभ की थी। कवि हृदय सुनील रोजारियो की ये पंक्तियाँ – मैं 45 की पगडंडी पे/आकर खड़ा होऊ और /आनेवाले दिन पर चिंतन करूं /वही अज्ञात शक्ति/की प्रेरणा आज भी जीवित है मुझमें। रोजारियो ने कवि सम्मेलन आयोजित कर अपनी सर्वधर्मसमभाव का परिचय दिया। हिंदी के कवियों में मृदुला कोठारी निर्मला तोदी, सुषमा राय पुष्पा मिश्रा , डॉक्टर वसुंधरा मिश्र,चंदा प्रह्लादका , अरूणा वी , डॉक्टर उर्मिला एस, रीता चंादपात्रों, मीनाक्षी सांगानेरी, गजेंद्र नाहटा , सुनील रोजारियो, रीमा पांडे, रवि प्रताप सिंह, अंजू सेठिया ,पवन कुमार झा और बांग्ला कवियों में डॉक्टर साधना काराली, डॉ मधुमिता आचार्य, सुजाता रॉय ,कौशिक हाजरा मायाबनी साहा,अविनाश गायैन और उर्दू कवियों में हलीम सब्बीर ,रेज आजम, हैदरी, अशरफ़ याकुबी, मुस्ताख अफजल, इम्तियाज कैसर, परवेज रेज आदि कवियों ने अपनी कविताएं सुनाई।
इस मौके पर उर्दू कवि के एक पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। भारत की विभिन्न भाषाओं मैथिली, तेलुगु में भी कविताएं सुनाई गईं वहीं अपनी कविताओं में कवियों ने भारत की प्रशंसा , प्रकृति और विभिन्न समस्याओं पर अपनी कविताओं ,गीतों को रखा
भावी पीढ़ी के लिए किस तरह से कवियों के शब्द प्रभावित करते है, इस कवि सम्मेलन में दिखाई पड़ा । अंत में विश्वंभर नेवर ने अपनी बात रखी और सभी को शुभकामनाएं दी।
रिपोर्ट: कवियत्री, प्राध्यापक वसुंधरा मिश्रा