*दो बदन*
चेहरे से चेहरा मिला
एक अजीब खामोशी
दो लहरे
रात अँधेरी
एक समुन्दर सी |
दो बदन
चेहरे से चेहरे का मिलन
कभी लगता
पहाड़ सा
और रातें
मरुभूमि सी
दो बदन
आँखो आँखों से
दिल की जुबान कहती
ले जाती
जिन्दगी की जड़ो तक
फैलाती लड़ियाँ
रात भर |
दो बदन
दिल से दिल की बातें
कहती – सुनती
निगाह चेहरे पर
तलवार की धार सदृश
रातें चमकती |
दो बदन
चेहरे से चेहरे पहचान दिखाती
दो सितारे गिरते नजर आते
खुले आसमानों में |