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आम चुनाव में मीडिया की भूमिका

सत्य को दबाने की सर्वप्रथम चेष्टा महाभारत काल में हुई जब अश्वस्थामा को मारने के लिए झूठ का सहारा लिया गया – विश्वम्भर नेवर 

विनीत शर्मा , राजस्थान पत्रिका कोलकाता प्रभारी, उमेश राठी, वास्तु शास्त्री , वरिष्ठ पत्रकार  सीताराम अग्रवाल   विश्वम्भर नेवर, संपादक छपते छपते हिंदी दैनिक, अशोक झा, लेखक एवं समाजसेवी,  महाबीर बजाज, अध्यक्ष, श्री कुमारसभा पुस्तकालय, स्नेहाशीष सूर, अध्यक्ष प्रेस क्लब .
प्रेस क्लब के सभागार में पाठक मंच की तरफ से ” आम चुनाव में मीडिया की भूमिका ” विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया गया. इस चर्चा पर कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वम्भर नेवर, संपादक छपते- छपते हिंदी दैनिक एवं डायरेक्टर ताजा चैनल:   मीडिया की भूमिका पर कहा कि ” वेदों में लिखा है अप्रिय बात मत बोलिये   किन्तु  महाभारत  काल में सबसे पहले ” अश्वत्थामा हतो नरो वा कुञ्जरो वा ” सत्य को दबाने  की तकनीक विकसित हुई जो अभी भी चल रही है।  जो सत्य को सामने लाता है उसे उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। मीडिया के साथ -साथ पाठकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है.  मलयाली  पत्रिका जिसके पाठकों की संख्या हजारों में थी जब उन्हें पता चला की पत्रिका के मालिक अपना प्रेस  बेंच रहे है और पत्रिका बंद होने जा रही है, वहां के पाठकों ने प्रदर्शन किया  ये पाठकों की ताकत है।  आज न पाठक गंभीर है और न ही संपादक एवं पत्रकार।
 स्नेहाशीष सूर, अध्यक्ष प्रेस क्लब: डिजिटल मीडिया युग में हर कोई मीडिया चला सकता है और चला रहा है किन्तु साकारात्मक  सोच आवश्यक।
 विनीत शर्मा, राजस्थान पत्रिका के कोलकाता प्रभारी: मीडिया की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है ख़बरों को सही और तथ्यों के साथ छापने की, जिसके लिए  वो प्रेशर में भी कार्य करती है> और सत्य को ढूंढ़  कर लाती है।
महाबीर बजाज, अध्यक्ष, श्री कुमारसभा पुस्तकालय :मीडिया तंत्र निष्पक्ष नहीं ये चिंता का विषय है। हिंदी समाचार पत्रों में पाठको के पत्रों का स्थान होना चाहिए जो कि पहले था किन्तु आज के समय में ख़त्म कर दिया गया।
अशोक झा, लेखक एवं समाजसेवी: अख़बार और पत्रकार का मूल्यांकन करना कठिन क्योंकि प्रत्येक अख़बार की अपनी विचारधारा और पसंद होती है और वे उसी अनुसार ख़बरों को दिखाते और छापते है।
उमेश राठी, वास्तु शास्त्री: मीडिया बड़े उद्योगपतियों या नेताओं के अनुसार चलती है  और उन्ही की विचारधारा पर काम करती है।
ओम  प्रकाश गुप्ता (IPS) :  मीडिया को बोलने और दिखाने की आजादी होनी चाहिए।  सरकारें तो बनती -बिगड़ती रहेगी किन्तु मीडिया को दबाव में काम नहीं करना चाहिए उसकी जिम्मेदारी जागरूकता लाने की है।
मंजू गुप्ता ,समाज सेवी : कृष्ण ने गीता में कहा है कि अजेय बने।  पत्रकारों को भी अपनी बात निर्भीकता से रखनी चाहिए।   कार्यक्रम के आयोजक वरिष्ठ पत्रकार ने कार्यक्रम का  कुशलता पूर्वक संचालन करते हुए कहा कि आजकल  मतदान  कम हिंसा का दौर है ये मीडिया बताती है।  सही तो ये होगा की मीडिया हाउस राजनीति से दूर रहे और निष्पक्ष होकर लिखे।  जनता, जब   सरकार की गलत नीतियों पर बोलेगी तो सरकार भी बाध्य होगी सुनने के लिए।

 उत्तम कुमार साव, चीफ जज  सिटी सिविल कोर्ट ने सभागार में उपस्थित विशिष्ट लोगों का सम्मान किया.

कार्यक्रम का  कुशलता पूर्वक संचालन करते हुए  वरिष्ठ पत्रकार एवं आयोजक सीताराम अग्रवाल ने  कहा कि पहले मतदान होते थे किन्तु अब हिंसा होती है।  पत्रकार भी अपने फायदे के लिए कार्य करता है और  उसी  विचारधारा के अनुसार समाचार छापता है।  पत्रकारिता में समर्पण चाहिए जिसका वर्तमान परिदृश्य में आभाव है। पत्रकारों को सच दिखाने की स्वतंत्रता भी नहीं है।
श्रोताओं में उपस्थित,  ऋचा कनौड़ियां, केशव भट्टर , शकुन त्रिवेदी, जितेंद्र जितांशु , किरणजीत सिंह ने  अपने विचार रखे।  रावेल  पुष्प, सीमा गुप्ता, आरती सिंह श्री मोहन तिवारी आदि ने काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका  महाबीर रावत, ज्योति अग्रवाल,  मीनाक्षी सांगनेरिया, करिश्मा मिश्रा,आदि की थी।

 

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