Sunday , May 4 2025

प्यारी गंगा मैया

                              हर हर गंगे…

 

 

कठिन भगीरथ तप

वरदान तुम्हे पृथ्वी पर

जाने का ,रोके कौन वेग

तुम्हारा ।।

 

शिव शंकर कि अर्घ

आराधना भगीरथ कि

करुण याचना ।।

 

भोले कि जटा में

स्थिर वेग तुम्हारा

जेष्ठ मास शुक्ल पक्ष

दशमी तिथि धरती पर

उदय तुम्हारा।।

 

गोमुख से उद्गम सागर से

मीलती गांगा सागर

सागर अन्तर्मन ,देव भूमि

पग प्रथम तुम्हारा।।

 

हरिद्वार में हरि कि पैड़ी

प्रयाग में संगम यमुना

सरस्वती संग मिलन

तुम्हारा।।

 

काशी में विशेश्वर

अभिषेक साठ हजार

सगर पुत्रो का मोक्ष

संसय भय समाप्त

करती मोक्षदायनी

नाम तुम्हारा।।

 

सगर पुत्रो के तारन को

ही धरा धन्य पर पग तू

धरती गांगा मईया तेरा

अवनि आना नर पर

उपकार तुम्हारा।।

 

तेरा पावन तट साध्य

साधना तप तपसी

बसेरा धर्म मर्म कर्म

मार्ग तूं ,तट तुम्हारा।।

 

माताओं में श्रेष्ठ मईया तू

संतानों का तू हरती पाप क्लेश

सांस प्राण कि काया जीवन को

आशीर्वाद तुम्हारा।।

 

सांस प्राण बिन काया कर्मो का

अंत तेरा तट, मरणकर्णिका

मोक्ष भूमि अस्थि अंत मे तेरे ही

पावन जल में पाती सद्गति नर कि

अंतिम इच्छा नारायण का कार्य

तुम्हारा।।

 

भृगु तपोस्थली दरदर

मुनि का ददरी मेला

हरिहर क्षेत्र सोनपुर

जन मन का मंगल मेला।।

 

सारे तीरथ सत्य

साकार तभी, गंगा सागर

स्नान मिले ,हिरयाली

खुशहाली तेरा

आशीर्वाद मिले तुम्हारा।।

 

जय गंगे माता निश दिन

जो तुझे धाता सुख संपत्ति पाता

मईया गंगे कि आरती जो गाता

जीवन चक्र जन्म मृत्यु बंधन से

मुक्त हो जाता युग कल्याण ही

रिश्ता नाता तुम्हारा।।

 

निर्मल निर्झर अविरल निश्चल

कल कल कलरव नित्य निरंतर

धर्म जाती पाती नही जानता

पण्डित मुल्ला पादरी रागी भिक्षु

सबकी प्यारी गंगा मीईया तेरा युग

प्राणि से नाता।।

 

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

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