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मां गंगा केवल बहती जलधारा नही

आध्यामिक विकास की प्रेरक शक्ति हैं गंगा – डॉ वसुमति डागा

कोलकाता 17 जून। “मां गंगा केवल बहती जलधारा नहीं हैं बल्कि भारत को अमरता प्रदान करने वाली अमृत स्रोत हैं। मां गंगा इस देश की संतति के लिए आध्यात्मिक विकास की प्रेरक शक्ति हैं।” ये उद्गार हैं डॉ वसुमति डागा के, जो “परिवार मिलन” द्वारा आयोजित “गंगा दशहरा उत्सव” में बतौर प्रधान वक्ता बोल रही थीं। डॉ डागा ने मां गंगा की आध्यात्मिक, दैविक, भौतिक एवं वैज्ञानिक व्याख्या करते हुए कहा कि गंगा के अवतरण के लिए पीढ़ियों का बलिदान रहा है। अमृत स्वरूपिणी और मोक्ष प्रदायनी मां गंगा का अवतरण राजा भगीरथ और उनके पूर्व पुरुषों के चरम पुरुषार्थ और तपस्या का परिणाम है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि गंगा वंदनीय और पूजनीय के साथ प्रदूषण नाशिनी भी हैं। उनकी स्वच्छता हेतु हमें अपने–अपने स्तर पर व्यापक रूप से सक्रिय रहना चाहिए, जिससे आरोग्य दायिनी गंगा की गरिमा बची रहे।

इस अवसर पर राजेंद्र कानूनगो, शुभा चूड़ीवाल, रश्मि सेठिया, अनुपमा तोषनीवाल, वरेण्य चूड़ीवाल एवं ईशा पचीसिया ने सांगीतिक काव्य प्रस्तुति कर मां गंगा का वंदन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ शुभा चूड़ीवाल द्वारा गंगा वंदना से हुआ। संस्था की पूर्व अध्यक्ष दुर्गा व्यास ने स्वागत भाषण देते हुए अतिथियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन किया विनीता मनोत ने तथा अरुण चूड़ीवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर महावीर प्रसाद मनकसिया, ईश्वरी प्रसाद टांटिया, हरिमोहन मर्दा, अरुण मल्लावत, प्रो. अल्पना नायक, जवाहर व्यास, भागीरथ सारस्वत, गौरीशंकर मनकसिया, अशोक अवस्थी, विनोद अवस्थी, श्रीमोहन तिवारी, डॉ अंजुल विनायकिया, डॉ विनोद विनायकिया एवं आनंद पचीसिया उपस्थित थे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में अमित मूंदड़ा, आशाराज कानूनगो, कुलदीप मनोत, रोहित व्यास एवं रीना व्यास की सक्रिय भूमिका रही।

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