दीप प्यार का जलाइए …
दीप प्यार का जलाइए
अंधेरा मिटाइये फरेब
झूठ जंजाल का अन्धकार है
बहुत दीप एक प्यार का जलाइए।।
गर एक दिया भी जल गया
दुनियां की इन्तज़ार की दुनियां
रोशन जहाँ गुलज़ार सा
अंधेरों से उजाले का लौ बनते जाईए।।
कदम कदम पर धोखे है
मतलब कि दुनियां है
दो आंख दिया खुदा ने
फिर भी लगते सब अंधे है
अंधो कि दुनियां का
अन्धकार मिटाईए।।
एक चिराग कि रौशनी से
जहां में उजियार का शुभारम्भ
शुभ शुभारम्भ का इंसान बनते जाईए।।
ज़ालिम दुनिया में मुश्किलें बहुत
जलते दीपक को गैरत कि दुनियां
तूफ़ानों से बचाईए।।
वक़्त ऐसा भी है आता
जलता दीपक तेरा
बुझने को फड़फड़ाता
कभी दीपक के जलने की
उम्मीद ही दम तोड़ती
हौसले हिम्मत का
फानूस बनते जाईए।।
तेरे जलते दीपक तले भी है
अंधेरा रोशन कर तू जहां
ऐसा अंधेरे का नामोनिशान
मिट जाए कहीं ना रहे
अंधेरा धरा कि आबरू का
अवतार बनते जाईए।।