कृष्ण के चरित्र को जीवन में अपनाना होगा : स्वामी अखिलेश्वरानंद सरस्वती*
कोलकाता 26 अगस्त। ‘कृष्ण को जानना या मानना पर्याप्त नहीं है, उसको अपने आचरण में लाना होगा तभी सनातन संस्कृति की रक्षा हो पायेगी।’ ये उद्गार है सत्संग भवन के स्वामी अखिलेश्वरानंद जी महाराज के, जो विश्व हिन्दू परिषद् पश्चिम कोलकाता द्वारा परिषद के 61 वें स्थापना दिवस पर आयोजित जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर आशीर्वचन स्वरूप बोल रहे थे।
प्रधान वक्ता गीता-मर्मज्ञ श्री हरीश तिवाड़ी ने कहा कि धर्म की हानि का तात्पर्य है कि मनुष्यों में दुर्गुणों का अत्याधिक प्रवेश। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चुनौतिपूर्ण संघर्षशील जीवन के बावजूद बड़े-बड़े कार्य किए एवं धर्म की पुन: स्थापना का स्तुत्य कार्य किया।
अध्यक्ष श्री बंशीधर शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के विविध रूपों का दिग्दर्शन कराते हुए उन्हें सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक बताया।
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए मार्गदर्शक श्री महावीर बजाज ने विश्व हिन्दू परिषद् के उद्देश्यों का विस्तृत विवेचन करते हुए कहा कि परिषद विगत 60 वर्षों से समाज एवं संस्कृति के उत्थान के कार्य में सेवारत है।
श्री अशोक दूबे ने गणेश वन्दना से कार्यक्रम का प्रारम्भ किया। अध्यक्ष श्री महेन्द्र कुमार शर्मा ने कुशल संचालन किया। कोलकाता पश्चिम भाग के संघचालक श्री ब्राहृानन्द बंग भी मंचासीन थे। संगीतमय भजनों की प्रस्तुति की बड़ाबाजार श्री दहमी माता प्रचार समिति के कार्यकत्ताओं ने। भजन-कीर्तन के बाद महाआरती की गई एवं प्रसाद वितरण किया गया।
समारोह में सर्वश्री रामगोपाल सूंघा, डॉ. विजय हरभजनका, सूरजप्रकाश गुप्ता, सत्यनारायण मोरीजावाला, शरतचन्द्र मंत्री, अशोक सिंघानिया, प्रवीण शर्मा, संजय मंडल, संतोष पाण्डेय, सत्यप्रकाश राय, नरसिंग अग्रवाल, गणेश झा, वासुदेव करवा, अखिलेश पाण्डेय, नकुल यादव, गुलाब जांगड़ा, परशुराम गिरी, गोविन्द जैथलिया, गायत्री बजाज एवं प्रीति सेठिया प्रभृति अनेक गणमान्य व्यक्तियों से सभाकक्ष भरा हुआ था।
— डॉ. विजय हरभजनका, मंत्री