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कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार- 2

कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2—

देखो पार्थ
तुम जागे युग जागा
युग चेतना है लौटी।।

कुरुक्षेत्र कि समर भूमि
कटे मुंड काया से रक्तरंजित
लथपथ है लज्जित।।

कराहती अधर्म कि
अंतिम सांसे अभी शेष
महासमर का प्रेरक प्रणेता
सरोवर छिपा अवशेष।।

भीम प्रतिज्ञा का अंतिम
पल भी है आने वाला
अब भी है शेष।।

ललकारो कायर को
छुपा हुआ विष वेल
माधव केशव का संकेत।।

गूंजी ललकार गदा युद्ध
आमंत्रण की समझ न
सका अहंकारी का
अधर्म अहं अंत संदेश।।

जागृत हुआ सरोवर से
बाहर आया गदा युद्ध
आमंत्रण किया स्वीकार।।

महाभारत के महायुद्ध
कुरुक्षेत्र कि समर भूमि
में अंतिम युद्ध किया
शिरोधार्य।।

गांधारी का आदेश
वात्सल्य रूप में निर्वस्त्र
आओ पुत्र दुर्योधन माँ समक्ष
देती हूँ तुमको वज्र काया देह।।

माता का आदेश
दुर्योधन स्नान कर
चला मातु का
लेने आशीष।।

केशव ने देखा
जाना काल गति का
अंतर्मन वेष अट्टहास
कृष्णा का सुन
दुर्योधन स्तब्ध खड़ा
पूछा केशव ने
जा रहे नग्न हो
तुम कहाँ?

समझ न सका कृष्ण को
देख न पाया था
स्वंय की सभा मे
विराट स्वरूप युग का
सन्देश।।

बोला माता का है आदेश
कृष्णा कि मुस्कान बोले
करुणा निधान
माता के समक्ष क्या
तू नंगा जाएगा ?

नंगा नाच किया अपनो कि
मृत्यु पर कुरुक्षेत्र के महासमर में
अंत समय युद्ध के माता को
लज्जित करके तू क्या पायेगा?


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

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