प्रदीप कुमार गुप्त, वरिष्ठ अधिवक्ता, प्रयागराज उच्च न्यायलय, महासचिव ” इटावा हिंदी सेवा निधि”
*जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने है उन्होंने हिंदी भाषा का काफी प्रचार किया आपका इस बारे में क्या कहना है?
उत्तर, 2014 में मोदी जी ने वोट हिंदी में मांगे ये खुशी की बात है किन्तु भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की बात की थी जो पूरी नहीं हो सकी इस बात का दुख है।
*देश – विदेश में जिस अंदाज से मोदी जी हिंदी में वक्तव्य दे रहे है क्या इसने गूंगे भारत को जुबान दी है?
उत्तर, ये सही है कि मोदी जी ने हिंदी बोलकर भारत का गौरव बढ़ाया है लेकिन उसके पहले राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने विदेशों में जाकर हिंदी में भाषण दिए है। लेकिन जब तक हिंदी को संवैधानिक रूप से राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं मिलता तब तक भारत आफिश्यली रूप से गूंगा ही है।
*आपके अनुसार हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने में क्या अड़चने है?
उत्तर, दक्षिण भारत में मोदी जी ने चुनाव के समय हिंदी में वोट मांगे, जीतने के बाद 2019 की नवीन शिक्षा नीति प्रकाशित हुई जिसमें हिंदी को प्रोत्साहित करने की संस्तुति की गई । दक्षिण भारतीयों ने इसका विरोध किया जिसके चलते कोर्ट को भी कहना पड़ा कि हिंदी थोपे न। मुख्य अड़चन इच्छाशक्ति की कमी है। जितने अफसर शाह है वे अंग्रेजी में ही काम करते है। वे हिंदी में पत्राचार करने के विरोध में रहते है। न्यायाधीश भी अंग्रेजी में ही फैसले सुनाते है। पटना की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए पी शाही ने पूर्ण पीठ के द्वारा 11 अप्रैल 2019 में ये निर्णय लिया कि उच्च न्यायालय के समस्त कार्य हिंदी में ही होना चाहिए किन्तु उसकी अधिसूचना बिहार सरकार को जारी करनी है परन्तु बिहार के मुख्यमंत्री और सरकार दोनों ही उदासीन है जबकि 3 महीने के अंदर सूचना जारी करने का प्रावधान है।
यूपी में उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 5 सितम्बर 1969 में हिंदी में कार्य करने की अधिसूचना जारी की गई। वहां हिंदी में कार्य करने के लिए आप स्वतंत्र है। किन्तु अफसोस वहां के अधिकतर न्यायाधीश अंग्रेजी में ही फैसला सुनाते है।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य ब्रह्मदत्त ने सरकारी संस्थानों में समस्त कार्य हिंदी में करना अनिवार्य करवाया। इसी तरह प्रदेशीय भाषाओं में कार्य करने की परम्परा होनी चाहिए।
*आपके अनुसार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर, अगर हमारे प्रधानमंत्री जी योजनाबद्ध तरीके से प्रत्येक संस्था में ये ऐलान करवा दे कि हिंदी में जो सबसे ज्यादा और अच्छा कार्य करेगा उसे 5000/ रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाएगे तो हिंदी में कार्य करने वालो की अच्छी खासी तादाद नजर आएगी। प्रोत्साहन भत्ता, प्रशस्तिपत्र आदि देने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
* संवैधानिक रूप से उसे लागू करवाने के लिए क्या करना चाहिए?
जिस प्रकार कश्मीर में 370 को खत्म किया गया उसी तरह हिंदी को भी लागू करने का प्रावधान है। मोदी जी देश – विदेश में हिंदी में व्याख्यान देकर हिंदी को लोकप्रिय बना रहे है उसी प्रकार अगर वो हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए संकल्पित हो जाए तो हिंदी आसानी से राष्ट्र भाषा के पद पर आसीन हो जाएगी। संविधान में सारी व्यवस्थाएं है बस इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।