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डॉ गोयनका के लेखन में भारत और भारतीयता

     *डॉ. कमल किशोर गोयनका को श्रद्धांजलि*

कोलकाता 5 अप्रैल। हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार एवं प्रेमचंद विशेषज्ञ डॉ. कमल किशोर गोयनका के देहावसान पर सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के कक्ष में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर वाराणसी से पधारे दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई के पूर्व कुलपति प्रो. राममोहन पाठक ने कहा कि डॉ. गोयनका के लेखन में भारत और भारतीयता का समावेश रहा है।

प्रेमचंद को सही रूप में उपस्थित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने 11 वें विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस के दौरान उनके साथ काम करने के अनुभवों को याद किया और उन्हें कृतिजीवी व्यक्तित्व बताया। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने गोयनका जी के साथ आत्मीय संबंधों का उल्लेख करते हुए उनके प्रेरक व्यक्तित्व को रेखांकित किया ।

डॉ त्रिपाठी ने कहा कि प्रेमचन्द एवं प्रवासी साहित्य में उनका योगदान सदैव याद रखा जाएगा। उमेशचंद्र कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कमल कुमार ने डॉ. गोयनका द्वारा प्रेमचंद पर किए गए कार्यों तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के उपाध्यक्ष के रूप में उनके अवदान को याद किया।

इस गोष्ठी में श्रीमोहन तिवारी, डॉ दीक्षा गुप्ता, अरविंद तिवारी, दिव्य प्रसाद, शुभांगी उपाध्याय, जीवन सिंह एवं विवेक तिवारी आदि उपस्थित थे।

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