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उल्लास के साथ राष्ट्रीयता का अहसास

भारतीय संस्कृति संसद का 70वां स्थापना दिवस

कोलकाता, 10 मई । भारतीय संस्कृति संसद ने कल रवीन्द्र जयंती को अपने सभागार में आयोजित 70 वें स्थापना दिवस का शुभारंभ संस्थाध्यक्ष डॉ बिट्ठल दास मूँधडा के वक्तव्य से किया । रवीन्द्र जयंती को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्मरण करते हुए डॉ मूंधड़ा ने उल्लेख किया कि इसी दिन संसद की स्थापना भी एक सुखद संयोग है ।

उन्होंने देश की वर्तमान सुरक्षा परिस्थिति के परिपेक्ष्य में राष्ट्र का आह्वान करते हुए यह आशा व्यक्त की कि आज के दिन रवींद्र संगीत की प्रस्तुति हमें राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत करने में सहायक सिद्ध होगी ।

कार्यक्रम में समापन वक्तव्य देते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी ने डॉ अरुण प्रकाश अवस्थी की कविताओं का संदर्भ लेकर ठाकुर रवीन्द्रनाथ के प्रति प्रणति निवेदित की और संसद के उत्साही कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गीतों की भरपूर सराहना की । डॉ त्रिपाठी ने संस्था के संस्थापक माधोदास जी मूँधडा की स्मृतियों को भी साझा किया। कार्यक्रम का निर्देशन एवं संचालन किया संस्था की उपाध्यक्ष डॉ तारा दूगड़ ने।

रवींद्र संगीत के विशाल संभार से प्रणय, प्रकृति उपासना तथा वेदना को स्वर देने वाले गीतों के विशिष्ट चयन को हिंदीभाषी (अबंगाली) कंठों ने ललित बंगीय स्वर में प्रस्तुत करके श्रोताओं को भावविभोर कर दिया ।

महानगर के अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति से भरे-पूरे सभागार में कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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