Tuesday , May 20 2025

अब हुए अपने अलविदा

अब हुए अपने अलविदा

मुसाफिर अपने हुए*

कितने आए

कितने चले गए

जिन्दगी की राहों पे

चलते चलते

मुसाफिर मिलते गए

किसी ने पूछा

हाल क्या है?

कैसे दिन चल रहे?

अच्छे तो हो |

फिर ऐसे लोग भी मिले

लेकिन कतराए निकल पड़े

इन्हे समय न था

दो चार बातों का

हाय हैलो का

जैसे जैसे दिन गुजरे

महसूस होने लगा

काफी दिन गुजर चुके

जिन्हें हमने अपनाया था |

अपनों जैसा

वे भी निकल पड़े

वे चल बसे |

जिन्दगी के अंतिमन मोड़ पे

सोचने पर मजबूर हो जाता

हम आए थे नंगे पाँव

अब नंगा जाना पड़ेगा

धन – दौलत शोहरत

शान-शौकत, ताकत

कुछ भी रहेगा नही

दम तोड़ते वक्त

सिर्फ एक शक्ति काम आयेगी

प्यार की, दूसरों को अपनाने की

जो थे कभी मुसाफिर

अब हुए अपने | अलविदा |

 

 *फादर सुनील रोज़ारिओ*

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