Sunday , July 13 2025

समाज परिवर्तन के लिए सक्रिय संघ

शताब्दी वर्ष में समाज परिवर्तन के लिए सक्रिय संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी दिल्ली में 4 से 6 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक वैसे तो राजनीतिक दलों एवं मीडिया के लिए किसी हलचल मचाने वाले समाचार का कारण नहीं बना, पर इसके महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता।

संघ ने संगठन की दृष्टि से पूरे देश को 11 क्षेत्र एवं 46 प्रांतों में बांटा है। बैठक में सरसंघचालक, सरकार्यवाह एवं सहसर्यकार्यवाह सहित केंद्रीय पदाधिकारियों , सभी प्रांत प्रचारक, सह प्रांत प्रचारक, सभी क्षेत्र प्रचारक, सह क्षेत्र प्रचारक के साथ 32 संघ प्रेरित विविध संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री शामिल हों तो इसका महत्व समझ में अपने -आप आ जाता है। यानी संघ और इससे जुड़े संगठनों का संपूर्ण संघ प्रतिनिधि नेतृत्व की वहां उपस्थिति केवल मिलने जुलने के लिए तो नहीं हो सकती। संघ का गहराई से अध्ययन करने वाले या निकट से उसकी गतिविधियों पर निष्पक्ष दृष्टि रखने वाले जानते हैं कि बैठकों के सभी सत्रों के विषय एवं प्रारुप निर्धारित होते हैं। विरोधियों के तीखे तेवरों के विपरीत बैठक हमेशा शांत संतुलित व्यवस्थित माहौल में संपन्न होता है।

इसमें सामान्य दलीय राजनीति पर विचार के लिए गुंजाइश नहीं होती है। जितनी जानकारी है भाजपा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर बाहर की उत्कंठा के विपरीत यह चर्चा में भी नहीं आया। संघ के वर्ष में कुछ निश्चित आयोजन हैं जिनमें प्रांत प्रचारक बैठक भी शामिल है। मार्च में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक तथा अप्रैल से जून तक प्रशिक्षण वर्गों के संपन्न होने के बाद यह बैठक आयोजित होती है। इसलिए इसमें देश भर के पूरे वृतांत तथा भविष्य के संगठन की योजनाओं पर फोकस रहता है।

वैसे भी संघ का मुख्य फोकस संगठन, समाज जागरण तथा समाज परिवर्तन है तो इसका फोकस वही रहेगा। जैसा हम जानते हैं इस वर्ष विजयादशमी यानी 2 अक्टूबर से संघ शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। पिछले काफी समय से आगामी 2 अक्टूबर से लेकर 2 अक्टूबर 2026 तक इसके आयोजनों और कार्यक्रमों को लेकर गंभीर चर्चा हमारे सामने आते रहे हैं। स्वाभाविक ही इस समय की अधिकतर बैठकों का केंद्र बिंदु शताब्दी वर्ष ही होगा। जितनी जानकारी है संघ अन्य संगठनों या राजनीतिक दलों की तरह शताब्दी वर्ष पर कोई एक बड़ा आयोजन करने की जगह इसका उपयोग संगठन विसृतार, हिंदुत्व केंद्रित विचार को अधिकतम लोगों तक पहुंचाने तथा समाज परिवर्तन की दृष्टि से कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए कर रहा है।

योजना अनुसार नागपुर में 2 अक्टूबर को वार्षिक विजयादशमी उत्सव में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत की हर वर्ष की तरह उपस्थिति एवं संबोधन के साथ उसी दिन देशभर में शाखा/मंडल/बस्ती के स्तर पर उत्सव आयोजित होंगे। विशेष अभियानों के तहत स्वयंसेवक घर-घर जाकर संपर्क करेंगे। गृह संपर्क अभियान के दौरान स्वयंसेवक संघ साहित्य देकर बातचीत करेंगे। सरसंघचालक मोहन भागवत का विशेष संवाद कार्यक्रम चाऱ शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकता, बैंगलुरु में आयोजित होगा , जिसमें आमंत्रित लोगों के समक्ष अपनी बात रखेंगे तथा संवाद भी होगा।

संघ ने शताब्दी वर्ष में समाज परिवर्तन की दृष्टि से पांच परिवर्तन का विचार रखा है जिसमें सामाजिक समरसता,परिवार यानी कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य शामिल है। दरअसल , मोहन भागवत ने 2021 में समाज परिवर्तन की दृष्टि से ये पांच विषय सामने रखे थे और संघ इस पर काम कर रहा है। इससे संबंधित अलग-अलग सामाजिक सद्भाव सम्मेलन युवाओं का परिवारों का तथा इसी दृष्टि से संवाद आदि के सतत् कार्यक्रम हैं। स्वाभाविक ही प्रांत प्रचारक बैठक में कहां-कहां कितने और कौन से कार्यक्रम हो सकते हैं तथा उनमें अपेक्षित संख्या की कितनी संभावना होगी, व्यवस्था कैसे हो रही है आदि विषय विंदूवार चर्चा में आए। बैठक से निकलकर सभी प्रांत और क्षेत्र प्रचारक कार्यक्रमों की पूर्व तैयारी की दृष्टि से बैठकें, एकत्रीकरण आरंभ कर देंगे।

 

इनकी गहराई से समीक्षा करें तो साफ हो जाएगा कि समाज और सत्ता में व्याप्त विद्रूपताओं की निंदा , आलोचना, विरोध से परे समाज की सहभागिता से सकारात्मक परिवर्तन का उद्देश्य ही इसके पीछे है। जाति भेद से परे हटकर सामाजिक समरसता के अंतर्गत समाज में सद्भाव बढ़े, परिवारों की पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली बने, हममें स्व-बोध यानी अपने राष्ट्र की महान विरासत, महान सभ्यता -संस्कृति -धर्म -अध्यात्म, फोटो में व्याप्त समाज संगठन उपलब्धियां आदि के प्रति गौरव व्याप्त हो, कुटुंब यानी परिवार के सभी सदस्यों- संबंधियों में आत्मीयता व संस्कारों की वृद्धि हो तथा लोग नागरिक के नाते अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो जाएं तो धीरे-धीरे संपूर्ण समाज और देश की स्थिति कितनी सकारात्मक, सहकारी और सशक्त होगी इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है।

पहले से इन विषयों पर चर्चाएं हो रही हैं, उनके साहित्य आदि प्रकाशित हैं, बैठकों में भी इन पर मंथन हो रहा है और प्रांत प्रचारक बैठक में संगठन के स्तर पर इसे आगे बढ़ाने की योजना तय हो गई है इसलिए कार्यक्रम भी संपन्न होंगे। विश्व में ऐसा कोई संगठन नहीं होगा जो जितना तय करें सब कुछ उसी के अनुरूप हो जाए और त्वरित लक्ष्यों की प्राप्ति भी। इसलिए यह नहीं कह सकते कि सब कुछ कल्पना के अनुरूप भी हो जाएगा और सारे लक्ष्य भी प्राप्त हो जाएंगे किंतु उस दिशा में कुछ हद तक सफलता मिलेगी यह निश्चित है। जितनी संख्या में व्यक्तियों के अंदर पांच परिवर्तन के लिए भाव जाएंगे वह अपने स्तर पर कुछ ना कुछ करेंगे और समाज के स्तर पर जगह-जगह इन सबके सुखद परिणाम आते रहेंगे।

वास्तव में संघ शताब्दी वर्ष की योजना ऐसा नहीं है जिन पर एक वर्ष तक काम किया और फिर।। यह सतत आगे बढ़ते रहने के कार्यक्रम हैं। फिर जिन लोगों से सब ज्ञान के दौरान संपर्क होगा उनके आगे शाखों प्रशिक्षकों आदि की दृष्टि से भी उपयोग की योजनाएं हैं। यानी जो जुड़ें वह छूट नहीं इसकी कोशिश भी होगी। त्वरित परिवर्तन तात्कालिक आंदोलनों से होती है किंतु स्थायी सतत् परिवर्तन और प्राप्तियों के लिए अनवरत ऐसे ही समाज के अंदर स्वत: अभियान संचालित होते रहना आवश्यक होता है। संघ की यही कार्य शैली दिखती है।

चूंकि स्थापना के कुछ समय बाद से ही संघ के नियमित हर वर्ष प्रशिक्षण वर्ग आयोजित होते हैं, इसलिए उसे स्वयंसेवक और कार्यकर्ता के रूप में युवा वर्ग उपलब्ध होते हैं। इसी वर्ष आयोजित कुल 100 प्रशिक्षण वर्गों में से 40 वर्ष से कम आयु वर्ग के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित 75 में 17, 609 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया जबकि प्रकार 40 से 60 वर्ष की आयु के 25 वर्गों में 4270 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। इन वर्गों में देश के 8812 स्थानों से स्वयंसेवकों की सहभागिता रही।

आप चाहे संघ की कितनी कटु आलोचना करिए किंतु सोचिए, क्या भारत या दुनिया में कोई दूसरा संगठन इस स्तर पर नियमित प्रशिक्षण वर्ग चलाता है? स्वयंसेवकों में केवल शाखा के कार्यक्रम तक का ही प्रशिक्षण नहीं होता उनकी रुचि के अनुसार सेवा या अन्य क्षेत्रों में जो कार्य समाज की दृष्टि से वे कर सकते हैं उनसे जुड़े कुछ निश्चित क्षेत्रों में कार्य करने में सक्षम बनाने योग्य या उन्नयन का प्रशिक्षण मिलता है।

बैठक है तो इस बीच देश और दुनिया की घटनाएं भी चर्चा में अवश्य आएंगी। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने पत्रकारों के प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत की सभी भाषाएं राष्ट्र भाषाएं हैं, और संघ का मानना है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। भाषा संबंधी संघ की सोच अनेक बार सार्वजनिक रूप से रखी जा चुकी है फिर भी विरोधी यही कहते हैं कि संघ केवल हिंदी की ही बात करता है। एक बार पुनः स्पष्ट करने के बाद शायद दुष्प्रचार करने वाले बाज आयें।

 

पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान के स्थानीय अनुभवों तथा लोगों की प्रतिक्रियाओं की इससे ज्यादा अधिकृत जानकारी किसी संगठन को नहीं प्राप्त हो सकती। इस फीडबैक से भविष्य में ऐसी चुनौतियों से निपटने को लेकर समाज व संगठन के साथ सरकार के लिए भी कुछ दिशा मिलेगी। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का विराट स्वरूप प्रदर्शित हुआ।

उससे बने वातावरण को सनातन आध्यात्मिक मूल्यों के साथ हिंदू समाज की एकता के सुदृढ़ीकरण की दृष्टि से क्या हो रहा ,है क्या कर सकते हैं निश्चय ही ये महत्वपूर्ण विषय हैं हर बैठक में इसकी चर्चा हो रही है। डिजिटल माध्यम के नकारात्मक उपयोग से समाज के अंदर बढ़ रही समस्याओं का समाधान कैसे हो इस पर भी चर्चा होने की सूचना है। जैसा ऊपर बताया गया पूरी बैठक संगठन और कार्यक्रमों पर केंद्रित रही, संघ और विविध संगठनों के संगठन से संबंधित पदाधिकारी उपस्थित रहे, इसलिए इसका प्रतिफल धरातल पर दिखाई देगा।

अवधेश कुमार, दिल्ली

 

 

 

About Shakun

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *