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एक बार और जाल फेंक रे मछेरे

एक बार और जाल फेंक रे मछेरे, जाने किस मछली में बंधन की चाह हो!’ 

अचानक रवि ( रवि प्रताप सिंह अध्यक्ष, शब्दाक्षर ) का रात में फोन आया और बोला ; ” दीदी कल डॉ बुद्धिनाथ मिश्र जी आ रहे है, आपको कार्यक्रम में आना है! ” उसकी बात सुनकर मैंने तुरंत हामी भर दी। 

9 अक्तूबर मेरे लिए बहुत ही व्यस्त दिन था, कार्यक्रम में समय से पहुंचना नामुमकिन लग रहा था किन्तु मिश्र जी से मुझे मिलना था।  मिश्र जी , की प्रशंसा तो बहुत सुनी थी और उनकी मील का पत्थर साबित हुई कविता ” एक बार और जाल फेंक रे मछेरे ”  को  यूट्यूब में देखकर आनंद  भी लिया था।   लेकिन जब हम पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के ऊपर ‘ द वेक पत्रिका का नवम्बर अंक निकाल रहे थे तब त्रिपाठी जी ने ही कहा कि  -” आप बुद्धिनाथ जी से बात करिये ! ” 
मैंने उन्हें फोन करके आग्रह किया की आप त्रिपाठी जी के ऊपर कोई संस्मरण दीजिये।  उन्होंने तुरंत अपनी स्वीकृति दी और कुछ दिनों के अंदर ही उनका लेख भी आ गया। उनसे  फोन पर बात मुश्किल से तीन -चार बार हुई होगी लेकिन व्हाट्सअप पर होली -दिवाली के संदेश  अवश्य भेज देते थे जिनका मिश्र  जी जवाब  देते थे। संदेशों के आवागमन से ये स्पष्ट हो गया कि  मिश्र जी एक व्यवहार कुशल और सरल व्यक्ति है।
कोलकाता में मिश्र जी का अक्सर आना होता परन्तु  मुलाकात  का संयोग नहीं बन पाता  ऐसे में  शब्दाक्षर  के कार्यक्रम ने  मिश्र जी से मिलने और उन्हें सुनने का अवसर प्रदान किया।  
 
कार्यक्रम हाल  में जैसे ही प्रवेश किया मिश्र जी ने बड़े ही आत्मीय ढंग से प्रणाम स्वीकार किया और अपने पास बैठने के लिए कहा।  कार्यक्रम आरम्भ होने में देरी थी अतः उनसे बात करने का अवसर भी मिला जिससे ये स्पष्ट हो गया कि आप सह्दय और सरल व्यक्ति है  जिसने ख्याति के अहंकार को अपने स्वाभाव में शामिल नहीं होने दिया। 
आप सफल गीतकार, लेखक , पत्रकार, पटकथाकार (क्यों और कैसे ? दूरदर्शन के राष्ट्रीय  चैनल पर प्रसारित धारावाहिक) तो है ही साथ ही  देश – विदेश के अनेको पुरस्कारों से सम्मानित भी है।  

डॉ  बुद्धिनाथ मिश्र ने श्रोताओं को अपने कुछ मुक्तक सुनाये  परन्तु श्रोताओं की मांग पर सदाबहार कविता ‘एक बार और जाल फेंक रे मछेरे, जाने किस मछली में बंधन की चाह हो ,’ सुनाकर सभी को खुश कर दिया।

मुख्य अतिथि बिश्वम्भर नेवर ने स्वागत वक्तव्य क्रम में उत्सव मूर्ति डॉ.बुद्धिनाथ मिश्र की साहित्यिक उपलब्धियों से उपस्थित श्रोता समूह को परिचित करवाया  एवं  कार्यक्रम की अध्यक्षता की   “उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि मिश्र जी रहते तो देहरादून में है किन्तु कोलकाता से उनका भावनात्मक सम्बन्ध है और हम  सब भी उन्हें कोलकाता वासी ही मानते है।”

मंच का कुशल संचालन शब्दाक्षर के  राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप ने किया, उनकी कविता ” दबे पाँव चुपके से आ गयी जवानी ,” सुनकर  श्रोतागण  भाव -विभोर हो गए।

 वरिष्ठ कवित्री हिमाद्री मिश्रा के द्वारा प्रस्तुत सुमधुर सरस्वती वंदना से काव्य-सम्मान सभा का शुभारम्भ हुआ। माँ वीणा वादिनी की आराधना के बाद शब्दाक्षर के परामर्शदाता मंडल में शामिल बड़ाबाजार लाइब्रेरी कोलकाता के महामंत्री अशोक गुप्ता व मुख्य   काव्य पाठ द्वारा साहित्य की सरिता प्रवाहित करने वाले शब्दाक्षर पदाधिकारी रचनाकारों में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शकुन त्रिवेदी, प्रदेश अध्यक्ष पश्चिम बंगाल सुधा मिश्रा द्विवेदी, प्रदेश संगठन मंत्री पश्चिम बंगाल अवधेश मिश्रा, दक्षिण कोलकाता जिला अध्यक्ष प्रदीप कुमार धानुक, हावड़ा जिला उपाध्यक्ष व मैट्रो रेलवे के पूर्व कार्मिक रंजीत कुमार सिन्हा, दक्षिण कोलकाता जिला उपाध्यक्ष राम नारायण झा देहाती, दक्षिण कोलकाता जिला संगठन मंत्री अनुज कुमार, शब्दाक्षर मुख्यालय कार्यालय प्रभारी गौरव केशरी व शिक्षाविद विशिष्ट अतिथि कवि रामपुकार सिंह ‘पुकार गाजीपुरी’ शामिल थे।
काव्य सम्मान सभा में साहित्यिक संस्था ‘रचनाकार’ के संस्थापक सुरेश चौधरी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शकुन त्रिवेदी के धन्यवाद ज्ञापन से काव्य सम्मान सभा का समापन हुआ।
 

–  शकुन त्रिवेदी

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