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तुम  लिखना मत छोड़ना 

तुम  लिखना मत छोड़ना  –  डॉ शिव ॐ अम्बर 

मेरी ॐ भाई से पहली मुलाकात , मेरी पत्रिका ‘द वेक ‘ के आरम्भ होने के दो तीन  महीने के अंदर ही हो गई थी , उन्हें अपनी पत्रिका देते हुए मैंने उनसे अनुरोध किया  कि अगर आपको पत्रिका स्तरीय लगे तो कृप्या लेख भेजने का कष्ट कीजियेगा।  उन्होंने जवाब में ‘जरूर’ कह कर सिर हिला दिया। 
 
 उसके कुछ दिनों पश्चात ही उनका एक लेख, आत्मीयता पूर्ण पत्र के साथ आ गया.  ये मेरे लिए सुखद आश्चर्य था क्योंकि जहाँ जरा सा भी नाम पाने वाले लेखकों से रचना देने का आग्रह करते, वे तुरंत पारिश्रमिक की बात उठाते।  उसी जगह ओम भाई ने कई वर्षों तक अपनी जेब से खर्च कर कोरियर या स्पीड पोस्ट से रचनाये भेजी।
 पत्रिका ‘ द वेक ‘ 15 वर्षों तक (2020, कोविड के दौरान  बंद हो गई)  निरंतर चली और उस लम्बे समय में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब  ओम भाई का लेख समय से न मिला हो. कवि सम्मेलनों में बड़े कवि और मंच संचालक के रूप में  प्रतिष्ठा और  लोकप्रियता  पाने के बावजूद भी  कभी उनके अंदर अहंकार नहीं देखा।  जब भी  मिले  बहुत स्नेह के साथ मिले।
 
विख्यात कवि और मंच संचालक आदरणीय ओम भाई (डॉ. शिव ॐ अम्बर ) वो शख्स है जिनसे बेहिचक मै अपनी किसी भी  उपलब्धि को साझा करती हूँ , इसका कारण उनका प्यार और प्रोत्साहन है।  अभी हाल ही में  28 अक्टूबर 2025 को मेरे द्वारा निर्देशित वृत्तचित्र  ‘ आओ बात करे ‘  (डॉक्यूमेंट्री )  को  पश्चिम बंगाल के  राज्यपाल  माननीय डॉ सी वी आनंद बोस  की अनुमति  और सहयोग से राजभवन  में  दिखाया गया।  ये मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी जिसे मैंने ओम भाई के साथ साझा किया। 
 
 उन्होंने बहुत ध्यान से सुना और प्रशंसा की।  लेकिन फोन रखने से पहले वे गंभीर  आवाज में बोलै :  “शकुन ! तुम लिखना मत छोड़ना,  ये तुम्हारी मूल विधा है।  उनके इस वाक्य ने मुझे झकझोर दिया क्योंकि मै अपने लेखन पर ध्यान नहीं दे रही हूँ।  शायद मै भटक गई हूँ या फिर अपने अंदर के लेखक को नजर अंदाज कर रही हूँ , किन्तु   आदरणीय ओम भाई  के वाक्य ने मुझे सोते से जगा दिया। 

– शकुन  त्रिवेदी

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