भारतीय संस्कृति संसद सभागार में आयोजित नाटक *चिट्ठियां का सफर*
*यादों की कहानी है चिट्ठियां– डॉ. तारा दूगड़*

कोलकाता,16 नवंबर। ‘शब्द कागजों पर उतरकर कहानी बन जाते हैं, समय को पार कर भावात्मक यात्रा को जिंदा रखती है चिट्ठियां। शब्दों में व्यक्त यह दो दिलों की एक कहानी होती है चिट्ठियां । यूं यादों को कागज पर उतारना एक नया रास्ता बनाता है।’– ये उद्गार है साहित्य विदुषी डॉ तारा दूगड़ के जो आज भारतीय संस्कृति संसद द्वारा अपने सभागार में आयोजित नाटक *चिट्ठियां का सफर* के अवसर पर बतौर रचना शिल्पकार बोल रही थी।
प्रस्तुत नाटक में 29 साल पुरानी प्रेम कहानी को माध्यम बनाकर दो दिलों की धड़कनों को उजागर किया है। इसमें संवेदना, उद्वेग और प्रेम पगे विचारों का आदान-प्रदान बहुत सुंदर ढंग से प्रतिपादित किया गया है । अच्छा लगता है प्रेमी एक दूसरे के मां-बाप की कुशल-क्षेम के साथ कोलकाता की पृष्ठभूमि में ट्राम, मेट्रो रेल के विकास, पर्यावरण के बारे में पूछ लेते हैं । चिट्ठियों के माध्यम से रूठना, मनाना, गलती मान लेना फिर मिल जाना नई पीढ़ी को एक नया संदेश देता है।
इस नाटक की अवधारणा व प्रस्तुति में डॉ तारा दूगड़ का रचनात्मक सहयोग सराहनीय था। धन्यवाद ज्ञापन किया श्री विजय झुनझुनवाला ने। इस सशक्त नाटक के पात्र थे– सुशांतगोपाल सुरेका, कृशांग अग्रवाल, शरण्या दूगड़, रोहित दूगड़, ऋचा अग्रवाल, प्रमित घोष, रितिका भरानी एवं हर्ष दूगड़। नाटक के रचनाकार एवं निर्देशक थे कार्तिकेय त्रिपाठी। कार्यक्रम में सर्वश्री रतन शाह, राजगोपाल सुरेका, बंशीधर शर्मा ,राजेश दूगड़, केतन सतनालीवाला, सुशीला केजरीवाल, शकुन्तला पाटनी, मनीषा सुरेका, गायत्री शाह, नीलम सेठिया एवं युवा पीढ़ी के बहुत सारे उदीयमान बच्चे भी उपस्थित थे।
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