पश्चिम बंग हिंदी अकादमी ने आयोजित किया पुस्तक मित्र कार्यक्रम
कोलकाता। पश्चिमबंग हिंदी अकादमी, सूचना एवं संस्कृति विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित पुस्तक मित्र श्रृंखला की चतुर्थ कड़ी का आयोजन हेमंत भवन स्थित “हिन्दी अकादमी सभागार ” में किया गया।
इस कड़ी की चयनित पुस्तक थी रवि प्रताप सिंह का ग़ज़ल संग्रह “सन्नाटे भी बोल उठेंगे।”
पुस्तक मित्र कार्यक्रम में किसी एक चयनित पुस्तक के कुछ अंशों का वाचन किया जाता है ,उसके बाद विशेषज्ञों द्वारा समीक्षात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किए जाते हैं। अंत में लेखक स्वयं अपनी पुस्तक से संबंधित अपनी बात श्रोताओं के समक्ष रखता है। इस बार विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्ध ग़ज़लकार प्रमोद शाह नफी़स, कृष्ण पाल सिंह और रावेल पुष्प उपस्थित थे। अकादमी के सदस्यों अजय कुमार साव और अशोक झा ने कवि रवि प्रताप सिंह को उत्तरीय पहनाकर स्वागत किया।
कार्यक्रम की शुरुआत कोलकाता की प्रतिष्ठित रचनाकार मंजु इशरत, सुधा मिश्रा द्विवेदी और रीमा पाण्डेय द्वारा पुस्तक की ग़ज़लों के सुंदर वाचन से हुई।
अकादमी के सदस्य और वरिष्ठ साहित्यकार रावेल पुष्प ने पुस्तक की ग़ज़लों का पाठ करते हुए उसकी विवेचना की और आशा जताई कि बड़े शायरों की तरह इस पुस्तक के शेरों को भी याद रखा जाएगा। रेलवे अधिकारी कृष्ण पाल सिंह ने कहा कि रवि प्रताप जी की ग़ज़लों में देशप्रेम , सामान्य प्रेम और जीवन का संक्षिप्त परिचय दिखता है। उन्होंने कहा गजलों में छायावाद का प्रभाव है और वे शिल्प से इतर नहीं हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रमुख शाह नफी़स जी ने अपने वक्तव्य की शुरुआत ग़ज़ल के इतिहास से की और कैसे धीरे-धीरे ग़ज़ल का स्वरूप बदला, उसकी चर्चा भी की। उन्होंने कहा कि प्रोग्रेसिव मोमेंट और फिल्मों ने ग़ज़लों का स्वरूप ही बदल दिया है। संग्रह पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ग़ज़लों का शब्द संयोजन बढ़िया है। उन्होंने प्रसिद्ध शायरों की ग़ज़लों और इस संग्रह की ग़ज़लों के ख़यालों के मिलाप को रुचिकर तरीके बताया।
कवि रवि प्रताप ने अपने वक्तव्य में बताया कि वह कैसे बचपन से ही कवि सम्मेलनों के प्रति आकर्षित हुए उन्होंने उन तमाम साहित्यकारों के नाम लिए जिन्होंने उनके जीवन को प्रभावित किया और फिर एक सामयिक ग़ज़ल सुनाई” फिर घाटी सुलग उठी है नफ़रत के अंगारों से” , जिसे सभी ने खूब पसंद किया।
कार्यक्रम में शकुन त्रिवेदी, चंद्रिका प्रसाद अनुरागी, जयकुमार रुसवा, जसबीर चावला, वी.अरुणा, नंदलाल बिहारी,राम पुकार गाज़ीपुरी, अशरफ़ याक़ूबी, प्रदीप धानुक, मनोज मिश्रा, रंजना झा, डॉ अहमद मेराज़,बिलाल खान सहित कोलकाता के अनेक नामचीन साहित्यकार उपस्थित थे।
कुछ हल्के फुल्के पलों के साथ इस रुचिकर कार्यक्रम का सभी ने आनंद लिया और ख़ूब सराहा।
कार्यक्रम का संयोजन अकादमी की सदस्य व रचनाकार रचना सरन और शुभा चूड़ीवाल ने किया। रचना सरन ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए बताया कि पाठकों में पुस्तकों के प्रति जिज्ञासा जागृत करने के उद्देश्य से परिकल्पित इस कार्यक्रम को पाठकों की भरपूर सराहना मिल रही है।
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