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कुमारसभा पुस्तकालय ने मनाई गीता जयंती

*अपने कर्म को धर्म संगत बनाने की सीख देती है गीता

कोलकाता, 4 दिसंबर। श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय ने गीता जयंती के पावन अवसर पर अपने नए भवन में गीता जयंती का आयोजन किया।

आयोजन की अध्यक्षा विशिष्ट साहित्यकार डॉ. तारा दूगड़ ने अपने उद्बोधन में गीता को व्यावहारिक जीवन का विज्ञान बताया और कहा कि गीता मनुष्य मात्र को उचित मार्ग दिखाने वाला सार्वभौम ग्रंथ है।

विशिष्ट वक्ता श्री योगेशराज उपाध्याय ने गीता के कई नेरेटिवों का उद्धरण देते हुए बताया कि गीता निष्काम कर्म का पाठ पढ़ती है एवं जीवन जीने का मंत्र बताती है। डॉ. कमल कुमार ने कहा कि समूचे संसार में गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है।

समाजसेवी श्री जसवंत सिंह ने कहा कि भगवान कृष्ण-अर्जुन संवाद के माध्यम से मानव की शंकाओं का समाधान करती है गीता। कुमारसभा के मंत्री श्री बंशीधर शर्मा ने स्वरचित कविता के माध्यम से गीता का सार बताया । अध्यक्ष श्री महावीर बजाज ने आयोजन का संचालन करते हुए बताया कि अपने कर्म को धर्म संगत बनाने का पाठ सिखाती है गीता ।

कविद्वय हीरालाल जायसवाल एवं आलोक चौधरी ने अपनी कविताओं के माध्यम से गीता की महत्ता प्रकट की। धन्यवाद ज्ञापन किया श्री भागीरथ सारस्वत ने तथा प्रारंभ में स्वर साधक श्री सत्यनारायण तिवाड़ी के सुमधुर भजन की प्रस्तुति की गई ।

आयोजन में सर्वश्री सागरमल गुप्त, प्रोफेसर दीक्षा गुप्ता, अरविंद तिवारी, प्रदीप सूंटवाल,गायत्री बजाज, मनीष जैन रामचंद्र अग्रवाल, अशोक दुबे, श्रीमोहन तिवारी एवं जीवन सिंह प्रभृति अनेक सुधीजन उपस्थित थे।

 

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