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मेरी एक -एक साँस मेरे देश  भारत को समर्पित –  नागालैंड के राज्यपाल एल ए  गणेशन 

जब से होश संभाला है तब से  लेकर आज तक जीवन का एक ही उद्देश्य है –  भारत की प्रगति,  भारत  की उन्नति, विश्व  के मंच पर हो भारत की सर्वश्रेष्ठ  गति, मेरी एक -एक साँस मेरे देश  भारत को समर्पित –  नागालैंड के राज्यपाल एल ए  गणेशन

 
विश्व सेवाश्रम संघ”   में आयोजित जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में  नागालैंड से  पधारे माननीय राज्यपाल  एल ए  गणेशन जी  जिन्होंने देश सेवा के लिए  शादी नहीं की, घर परिवार से दूर रहे.    राष्ट्रीय स्वयंसेवक बन कर देश के कोने – कोने  में देश हित के लिए  सिर्फ प्रचार  ही नहीं किया  वरन  तन -मन- धन से राष्ट्र की सेवा को अपने  जीवन का उद्देश्य बनाया .  
              जगन्नाथ रथ यात्रा के कोलाहल  के बीच ही  आपसे की गई  विशेष वार्तालाप के कुछ अंश  .. 
“विश्व सेवाश्रम संघ”   में आयोजित जगन्नाथ रथ यात्रा
प्रश्न :  राष्ट्रीय  स्वयं सेवक संघ से आप कैसे जुड़े ? 
 
हम नौ  (9 ) भाई -बहन  है और मेरा नंबर पांचवा है  चूँकि मेरे माता पिता दोनों ही संघ की विचारधारा से प्रभावित थे। इसलिए परिवार में हम सभी लोग शाखा  में जाते थे।  मुझे याद है की मै बहुत छोटा था और मेरे बड़े भाई मुझे कंधे पर  बिठा कर अपने साथ ले जाते थे।
 
  प्रश्न:  आप बड़ी कम उम्र से ही नौकरी करने लगे थे, इसका क्या कारण था ?
 
मै लगभग नौ वर्ष ( 9 ईयर ओल्ड ) का था जब मेरे पिताजी का आकस्मिक देहांत हो गया।  उनकी मृत्यु के बाद मै  12 क्लास तक पढ़ा और 16 वर्ष की उम्र में रेवेन्यू  सर्विस में आ गया.  लेकिन मैंने नौकरी ज्यादा दिन तक नहीं की।
  आप ये बताइये आपने नौकरी क्यों छोड़ी थी और आपने शादी भी नहीं की ?
 
स्वर्गीय राम गोपाल जी, बहुत अच्छे इंसान थे।  मैंने उनसे   प्रभावित होकर  नौकरी छोड़ दी।   उनके भाषण भी बड़े जबरदस्त  होते थे और उनके भाषणों में  राष्ट्र के लिए समर्पण की भावना होती थी, उनका कहना था की देश की सेवा दिन -रात  करनी होगी, उसके लिए शादी , परिवार  जैसी बातों से दूर रहना होगा। बस यही सुनकर मैंने घर नहीं बसाया।   एक दिन अपनी नौकरी छोड़ कर  पूर्ण रूप से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रचारक बन गया।
 
  प्रश्न:  प्रचारक  बनने के बाद आपको सबसे पहले कहाँ की जिम्मेदारी दी गई ?
 
* तमिलनाडु के गावों में जिलों में मैंने काफी दिन तक काम किया किन्तु बड़ी जिम्मेदारी  सबसे पहले कन्याकुमारी  का इंचार्ज बना कर दी गई।  सह प्रांत  प्रचारक जो आज्ञा देते मै उसका पालन करता।
 
   प्रश्न: आप भारतीय जनता पार्टी से कैसे जुड़े ?
 
* मुझे संघ वालों ने आदेश दिया भारतीय जनता पार्टी के साथ काम करने के लिए इसलिए मैं भाजपा के साथ काम करने लगा। भाजपा ने  ही मुझे राज्यसभा का सदस्य भी बनाकर भेजा।
  प्रश्न:  सुना है आप गाना लिखते भी है और गाते भी है ?
 
*   गाना, गाना  मुझे बहुत पसंद है और ये मुझे ईश्वर से मिला हुआ  बेहतरीन उपहार है।  मै पहले दूसरों के लिखे हुए गाने गाता था बाद में खुद लिखने लगा।  परन्तु मेरे समस्त ( लगभग ५० )  गाने देश  के लिए है जिन्हे संघ और भाजपा पसंद करती है।   मैंने कभी फिल्मों के लिए  नहीं  गाया।
  प्रश्न: आपने गोल्डन लोटस  नाम से एक संस्था की स्थापना की जिसका उद्देश्य तमिल साहित्यकार, संगीत, गायन और नृत्य से जुड़े कलाकारों  को सम्मानित करके  प्रोत्साहित करने के लिए।  तमिल का साहित्य बहुत ही समृद्ध है कभी आपने तमिल साहित्य का दूसरी भाषाओँ में अनुवाद करवाने की  कोशिश की ताकि वहां का साहित्य  दूसरे प्रदेश के भाषा-भाषी तक  पहुँच सके ?
*   तमिलनाडु  में एक समस्या है  तमिलियन खुद को भारतीय नहीं समझते , वे भारत को एक अलग देश मानते  है उन्हें ये समझाने के लिए कि हम सब एक देश के वासी है मैंने बहुत काम किया।  हिंदी -अंग्रेजी लेखों  का  अनुवाद तमिल में मैंने खुद किया है    किन्तु तमिल साहित्य का अनुवाद  किसी दूसरी भाषा में  नहीं हुआ है अब इस पर विचार करना आरंभ किया है।  परन्तु  आप को तमिलनाडु  में ” बोस, नेताजी, सुभाष  नाम बहुत मिल जायेगे।  वहां के लोग  ख़ुशी -ख़ुशी अपने बच्चों को इन नामों से पुकारते है।  चेन्नई  में जगन्नाथ यात्रा भी कई वर्षों से व्यापक  रूप से मनाई जाती है।
,  प्रश्न: आपने ‘ओरे नाडु’ (One Nation) नामक तमिल पत्रिका निकाली जो बाद में बंद हो गई।  क्या पत्रिका बंद होने का कारण आर्थिक समस्या थी?
* आर्थिक  समस्या नहीं थी.बल्कि मै स्वयं समय नहीं दे पाया।
९. प्रश्न: आप के ऊपर भी  इमरजेंसी का प्रभाव पड़ा था ?
* बीस महीनों तक मै अंडरग्राउंड था कुछ पेपर वालों ने लिखा की मै वापस आ जाऊं, मै सुरक्षित हूँ लेकिन मैंने उनकी बातों को नहीं माना ।
१०, प्रश्न : आप नागालैंड के गवर्नर है, वहां के बारे में आपके क्या विचार है ?
* नागालैंड का एक अलग ही इतिहास है. नागालैंड पर बात करने के लिए मै दुबारा आऊंगा और विस्तृत जानकारी दूंगा।  लेकिन अब नागालैंड पहले वाला नागालैंड नहीं रहा, उसमें बहुत सुधार आया है।
प्रश्न : आपकी हिंदी काफी अच्छी है! 
* मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए,  धन्यवाद।  दरअसल मै शुरुआत अंग्रेजी में करता हूँ  फिर अपने आप ही  मुंह से हिंदी निकलने लगती है।
नागालैंड  के राज्यपाल का  इंटरव्यू लेते हुए – शकुन त्रिवेदी

 

 

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