आम समाज से कोई आवाज ना उठाना ज्यादा चिंता पैदा करता है
अयोध्या जिला नाबालिग दुष्कर्म कांड ने पूरे देश को हिला दिया है। यह इस मायने में ज्यादा भयावह है क्योंकि एक नाबालिग बालिका के साथ हुए वीभत्स कांड पर राजनीति के एक बहुत बड़े नेता ने या तो मौन धारण किया या फिर प्रकारांतर से आरोपी का पक्ष लिया । मामले का मुख्य आरोपी अयोध्या के भदरसा नगर सपा अध्यक्ष मोईद खान है। मोईद खान फैजाबाद लोकसभा के सांसद अवधेश प्रसाद का करीबी है। पहले लग रहा था कि यह आरोप हो किंतु अवधेश प्रसाद ने इसका खंडन नहीं किया। मामला प्रकाश में आने , मीडिया में प्रमुखता से स्थान पाने तथा अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद सहित कुछ हिंदू संगठनों के छोटे विरोध प्रदर्शन के बाद 29 जुलाई को थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई,30 जुलाई को मोईद खान और उसके नौकर राजू खान की गिरफ्तारी भी हुई। बावजूद आईएनडीआईए के मुख्य घटक सपा और कांग्रेस
ने इस पर उस दिन एक बयान जारी करना मुनासिब नहीं समझा। स्वाभाविक ही लोगों के मन में क्षोभ और गुस्सा पैदा हुआ है तथा प्रश्न उठ रहा है कि उनके इस तरह के रवैये का कारण क्या है? क्या आरोपी सपा का नेता है इसलिए? या वह मुसलमान है इसलिए? या दोनों कारण है?
कोई भी इन प्रश्नों को गलत नहीं कह सकता। कल्पना करिए , अगर इसी घटना में आरोपी सपा नेता और मुस्लिम समाज से नहीं होता तो तस्वीर कैसी होती? क्या इस समय कांग्रेस , सपा आदि आईएनडीआईए गठबंधन के घटक पूरी दुनिया में योगी आदित्यनाथ सरकार, नरेंद्र मोदी सरकार , भाजपा ,संघ परिवार आदि के विरुद्ध मोर्चाबंदी नहीं कर रहे होते? पूरे देश में तूफान खड़ा हो चुका होता? इसका उत्तर आप अच्छी तरह जानते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी के संजय निषाद बयान देते – देते फफक कर रो पड़े। वास्तव में पूरी घटना का विवरण सुनकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आंखों में आंसू आएगा तथा गुस्सा भी पैदा होगा। प्राथमिकी के अनुसार बच्ची को आरोपी मोईद खान ने चॉकलेट, बिस्कुट आदि देने के लालच से अंदर बुलाया तथा उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके नौकर ने भी यही किया। उसका वीडियो बनाया तथा ऐसा डर पैदा किया, धमकी दी ताकि वह किसी को बता ना सके। यह दुष्कर्म काफी दिनों तक चला। लड़की अगर गर्भवती नहीं होती तो शायद इसका पता भी नहीं चलता। गर्भवती होने के बाद भेद खुला। विडंबना देखिए कि लड़की की मां की बात कोई सुनने वाला नहीं था। थाने ने पहले मुकदमा लेने से इनकार किया। बाद में कहा कि तुम केवल नौकर राजू खान को आरोपी बनाओ तभी प्राथमिकी दर्ज करूंगा। अस्पताल में लड़की के इलाज के दौरान सपा नेताओं ने दबाव बनाया कि समझौता कर लो। मामले को आगे बढ़ाने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। इन नेताओं के नाम भी महिला ने बताए हैं। यह बात आसानी से गले नहीं उतरती कि योगी आदित्यनाथ सरकार की मुख्य यूएसपी ही कानून और व्यवस्था है और उसमें ऐसा हो रहा है तो इसके लिए शब्द ढूंढना कठिन है।
ध्यान रखिए, आरोपी मोईद खान के घर में ही स्थानीय थाना किराए पर चल रहा था। लड़की की मां जब थाने में गई तो वह वहीं बैठा हुआ था। पुलिस वाले उसके साथ थे। एक अत्यंत गरीब परिवार की महिला के अंदर कैसा भाव पैदा हुआ होगा इसकी कल्पना से ही रोंगटे खड़े हो जाते है। स्थानीय नेता और पत्रकार सक्रिय नहीं होते तो प्राथमिकी दर्ज नहीं होती। यद्यपि पुलिस प्रशासन ने उसके अवैध निर्माण को बुलडोजर से ध्वस्त किया है जिसमें बेकरी शामिल है। इसके द्वारा संकेत यही है कि लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्तर प्रदेश सरकार दाबवों में नहीं है एवं अपराधियों के विरुद्ध पहले की तरह ही सभी प्रकार की कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में अपने परिचित तेवर में कहा भी कि अपराधी कोई भी हो उसके साथ अपराधी का ही व्यवहार होगा। हालांकि यह प्रश्न बना हुआ है कि 2017 से 2024 तक के 7 वर्षीय शासनकाल के बावजूद सपा काल के इस तरह के अवशेष कैसे बचे हुए हैं? विरोधी उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हैं कि वह चुन – चुन कर मुसलमानों के विरुद्ध ही ज्यादा कार्रवाई करती है। अगर ऐसा है तो मोईद खान के अंदर डर होना चाहिए था कि उसका भेद खुलने पर अंत निश्चित है। तो विचारणीय यह भी है कि अपराधियों की दशा देखकर भी उसके अंदर ऐसा करने का दुस्साहस कैसे पैदा हुआ?
सपा, कांग्रेस और पूरे आईएनडीआईए गठबंधन का ऐसा चेहरा सामने आया है, जिसकी इनके ज्यादातर ईमानदार समर्थकों ने कल्पना नहीं की होगी। सच कहा जाए तो सपा की पूरी कोशिश प्रकारांतर से मोईद खान को निर्दोष बताने तथा योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करने का है। अखिलेश यादव ने पहले तो बच्ची के गर्भ में पल रहे बच्चे के डीएनए टेस्ट कराने की मांग कर दी। फिर उन्होंने एक पोस्ट लिखा कि न्यायालय इस मामले को अपने पर्यवेक्षण में लेकर बालिका को संरक्षण दे। प्रश्न है कि बालिका को असुरक्षा किससे है? सपा सांसद अफजाल अंसारी ने बयान दिया कि गाजीपुर में बलात्कार का आरोपी ठाकुर है तो क्या उसके घर भी बुलडोजर चलेगा ? यानी मोईद खान मुसलमान है इसलिए उसके घर पर बुलडोजर चला। इस तरह अफजल ने इसे हिंदू मुस्लिम मुद्दा बनाने की रणनीति अपनाई। मुंबई से आबू आज़मी ने कहा कि 5 मिनट में उस महिला से मिलने का समय मुख्यमंत्री ने निकाल दिया जबकि लोगों से वह लंबे-लंबे समय नहीं मिलते। अबू आजमी की दृष्टि में मुख्यमंत्री का मिलना ही अपराध हुआ। कई नेता भाजपाइयों के नार्को टेस्ट की मांग कराने लगे।
ये सारे वक्तव्य ऐसे हैं जिन पर प्रतिक्रिया देने के लिए शब्द नहीं मिलते। कुल मिलाकर सपा यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि मोईद खान तो निरअपराध है , लेकिन चूंकि वह मुसलमान है, इसलिए योगी सरकार उसके विरुद्ध कार्रवाई कर रही है। सच इसके विपरीत भी हो सकता है। मोईद खान का मजहब इन पार्टियों को उसके विरुद्ध बोलने से रोक रहा है क्योंकि प्रश्न वोट का है । सपा की दृष्टि में मोईद खान निर्दोष हो तब भी कम से कम आरोप लगने के बाद उसको पार्टी से निलंबित कर देती तो उसके पास मामले में कुछ बोलने का नैतिक बल बचता। राहुल गांधी अगर किसी से डरते नहीं है तो इस पर बयान देने में क्या समस्या थी? अभी तक तो उन्हें अपने पूर्व कार्यों के अनुरूप वहां जाना चाहिए था। प्रियंका वाड्रा लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा दे सकती हैं लेकिन जहां आवश्यकता है वहां न गईं और न पीड़िता के पक्ष में कोई वक्तव्य दिया। इसका अर्थ क्या है? सच और झूठ का फैसला न्यायालय में हो जाएगा। क्या डीएनए जांच की मांग या इस तरह की बातें उस पीड़िता नाबालिग को झूठा साबित करना नहीं है? कुछ समय के लिए सपा के इशारे को स्वीकार करके हम यह सामान्य तर्क दे दें कि आरोप सिद्ध होने तक हम मोईद खान को अपराधी न मानें तब भी इनका रवैया स्वीकार्य नहीं हो सकता। कम से कम हम अपनी राजनीति से इतनी अपेक्षा अवश्य करते हैं कि किसी बालिका या महिला के साथ ऐसे दुष्कर्म पर खेमेबंदी नहीं होगी। सभी एक स्वर में पीड़िता के साथ खड़े होंगे और उसे न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे। बाल शोषण, यौन शोषण, दुष्कर्म ,महिलाओं के अधिकार की बात आपके एक्शन में भी दिखना चाहिए। यहां इसके उलट है। यानी नारा केवल चुनावी है।
पूरी तस्वीर हमें द्रवित करने वाली है। तो पूरा दारोमदार समाज पर है। समाज का इस पूरे घटनाक्रम पर उठकर खड़ा नहीं होना , कहीं से भी आवाज नहीं उठाना ज्यादा चिंता पैदा करने वाला है। अगर अयोध्या और उत्तर प्रदेश ही नहीं देशभर से इस कांड पर पीड़िता के पक्ष में जन आक्रोश दिखने लगे , लोग अयोध्या का राजा बनाए गए सांसद अवधेश प्रसाद से और आईएनडीआईए के घटकों से सामूहिक रूप से जगह-जगह उनके रवैये पर प्रश्न पूछने लगे तो होश अवश्य ठिकाने आ जाएंगे। आखिर इन्हें भी वोट चाहिए। जरा सोचिए , प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं होती तो क्या होता? जो पुलिस वर्तमान सरकार में कार्रवाई करने को तैयार नहीं थी, सपा के सर्वेसर्वा के इस व्यवहार के बाद तो पीड़िता और उसके समर्थन करने वालों के विरुद्ध खड़ी होती। इस स्थिति को बदलने का दायित्व अब आम लोगों का ही है।