राखियां भले ही कच्चे धागे की बनी हो किन्तु इनमें पिरोया हुआ प्यार -विश्वास – आशीर्वाद अटूट बंधन का प्रतीक है
राखियां भले ही कच्चे धागे की बनी हो किन्तु इनमें पिरोया हुआ प्यार -विश्वास -आशीर्वाद अटूट बंधन का प्रतीक है और जब कभी इसे किसी फौजी की कलाई पर बांधने की बात हो तब ये बंधन सिर्फ अटूट ही नहीं होता है वरन लम्बे और सुरक्षित जीवन की कामनाओं से पिरोया जाता है. प्रत्येक महिला फौजियों को राखी बांधते समय अपने स्नेह और आशीर्वाद के कवच से उन्हें ढांक कर उनके जीवन को सदैव के लिए सुरक्षित कर देना चाहती है।
१९ अगस्त २०२४ रक्षाबंधन का दिन इस बार अपने साथ सिर्फ काले बादल ही नहीं लाया बल्कि पानी बरसना भी अपने चरम पर था। उसी मूसलाधार बारिश में गाड़ी से निकल कर कार्यक्रम स्थल की थोड़ी सी दूरी को तय करने में पूरा भीग गए।
वहां उपस्थित फौजियों द्वारा हम लोगो का गर्मजोशी से स्वागत करना मन को अभिभूत कर गया। मेजर उपेंद्र द्विवेदी पानी में भीगते हुए हम लोगो से मिलने ही नहीं आये वरन प्रत्येक एक की सुविधा का भी ध्यान रखा. उनकी मिलनसारिता हम सभी को भाव विभोर कर गई।
अलायन्स क्लब के बिमल कुमार बिड़ला जी का राखी बंधवाने के लिए आग्रह करना, अलायन्स क्लब की अध्यक्षा शांता बिड़ला जी का स्नेह, राधे कृष्ण क्लब की सुमन अग्रवाल की विशेष व्यवस्था और इनरव्हील की अध्यक्षा बानी श्री का एक -एक को बुलाकर फौजी भाइयों को राखी बंधवाना, बिजनेस वुमन शोभा गुप्ता एवम ऊष्मा गुप्ता का देरी से पहुंचना और फिर जवानों का राखी, मिठाई से स्वागत करना आदि, सभी कुछ शब्दों से परे था ।
विभिन्न क्लबों की भागीदारी ने फोर्ट विलियम में मनाये गए रक्षाबंधन पर्व को अविस्मरणीय बना दिया। स्मृतियों के कोष में इन अमूल्य यादों को सहेजना भी एक अनोखा अनुभव प्रतीत हुआ .