सुनो भाई कान खोलकर, कल है भाई दूज त्यौहार

टीका, रूचना तुमको करना
और साथ मिठाई देना
लंबा खर्चा ऊपर से नखरा तेरा
मैं क्यों करती बर्दाश्त
आया भाईदूज त्योहार लाया खुशियां अपार।
सुन, सुबह – सवेरे जल्दी उठ कर करना है स्नान
पहन के कपड़े नए- नए फिर करना उपवास
गोलक अपनी फोड़ के रखना तुम पैसे भी तैयार
जब मैं तुझको रुचना कर दूं, सारे पैसे तुझ से लेलू
छूकर पांव हमारे फिर लेना आशीर्वाद
आया भाई दूज त्योहार…..
सुनो सयानी दीदी अम्मा, बुद्धि की हो तुम प्रतिमा
नही पाओंगी मुझसे कुछ भी ये मेरा विश्वास
तियु -मिहू लाइन लगाए चाकलेट का थाल सजाए
मेरे लिए उपवास करेगी, भैया कहके प्यार करेगी
दूर से देखोगी तुम फिर होगी जल -भुन खाक
आया भाई दूज त्योहार संग खुशियां अपार।
वो करेंगी रूचना मैं दूंगा उनको उपहार
गोलक भी नही पड़ेगी तोड़नी
प्यार -दुलार की पहन ओढ़नी
करना हमको धमाचौकड़ी
बड़ा मजा आएगा हमको जब तुम नही रहोगी साथ
आया भाई दूज त्योहार, संग खुशियां अपार।।

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