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अवैतनिक मजदूर

अवैतनिक मजदूर

 

365 दिन चकरघिन्नी सी नाचती

परिवार की जिम्मेदारियों को उठाती

पतिपरिवार की जरूरतों पर खुद को वारती

अपनी पहचान को उनकी पहचान में ढालती

 

ऐसी समर्पित 80 प्रतिशत नारियों

तुम्हारे लिए छुट्टी के नाम पर

नही कोई दिन और तारीख है

कोई गृहणी दिवस का ताज है

 

तुमसे अच्छे तो मजदूर है

पगार भी पाते है और वर्ष में एक दिन छुट्टी भी मनाते है

और तुम ये सुनकर ये घर तुम्हारा है

इसी बात पर बलबल जाती हो

 

पलपल होने वाले अपमान को भी सह जाती हो

कुचल कर अपना आत्मसम्मान और स्वाभिमान

आसुओं को पोंछ पति के कंधे से कंधा मिलाती हो

ता उम्र अवैतनिक मजदूर ही रह जाती हो ।।

-शकुन त्रिवेदी

 

 

 

 

 

 

 

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