राष्ट्र हमारे लिए राम है

1.
क्रान्ति की देशना काव्य का कर्म है,
प्रीति हर पंथ के ग्रंथ का मर्म है।
मज़हबों के मुरीदो! हमारे लिए,
राष्ट्र ही देवता राष्ट्र ही धर्म है।।
2.
उसका अनुचिन्तन ललाम है,
वो संज्ञा वो सर्वनाम है।
राम हमारे लिए राष्ट्र है,
राष्ट्र हमारे लिए राम है।।