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क्राइस्ट द किंग चर्च में चर्चा मुंशी प्रेमचंद पर

जिन सामाजिक विषमताओं, समस्याओं पर कलम चलाई वे आज भी जड़े जमाएं हुए है – विशंभर नेवर

क्राइस्ट द किंग चर्च में चर्चा मुंशी प्रेम चंद्र पर

क्राइस्ट द किंग चर्च, के तत्वधान में साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद के ऊपर एक सारगर्भित चर्चा का आयोजन फादर सुनील रोजारियो एवं कल्चरल एंड लिटरेरी फोरम द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का आरंभ परिणीति ठाकुर द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ।

तत्पश्चात फादर सुनील रोजारियो ने मुंशी प्रेमचंद द्वारा साहित्य के क्षेत्र में दिए गए योगदान की व्याख्या करते हुए बताया कि 300 कहानियां और 15 उपन्यास से साहित्य को समृद्ध करने वाले मुंशी प्रेमचंद बेजोड़ है।

अतिथि उद्घोषक आकाशवाणी , सविता पोद्दार: ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में स्त्री का चित्रण जिस सजीवता के साथ किया है वो सोचने के लिए मजबूर कर देगा साथ ही उन्होंने बेमेल विवाह पर लिखा उपन्यास निर्मला का जिक्र किया।

कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता आकाशवाणी, रिंकू शर्मा: अपनी लेखनी से आमजन की समस्याओं को उकेरने वाले प्रेमचंद्र

से शायद ही समाज की कोई समस्या छूटी हो। उनकी कहानियों में समाज की प्रताड़ित स्त्री हो या वैश्या उन्होंने सभी की मानसिकता को बखूबी दर्शाया हैं।

समाज सेवी, मोहम्मद अनवर प्रेमी: कालेज में प्रेमचंद्र को पढ़ा किंतु अब समझ में आया कि उन्होंने क्या लिखा। वो हिंदुस्तान की बात करते थे, जात -पात की बात करते थे, वो एक उद्देश्य के साथ लिखते थे।

डॉ वसुंधरा मिश्रा के अनुसार, भारत स्वतंत्र भी नही था ऐसे माहौल में उन्होंने लिखा। मुंशी प्रेमचंद व्याख्याता नहीं अपितु दृष्टा थे। वे अपने आस – पास घटित होने वाली घटनाओं पर नजर रखते थे और इन्ही घटनाओं को कहानी का आकार देते थे। वे अपने गलत किरदारों को मार देते थे या आत्महत्या का चित्रण करते थे। गलत को उन्होंने बढ़ावा नही दिया।

कहानीकार सिराज खान बातिश ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी , उर्दू साहित्य में एक भी कहानीकार मुंशी प्रेमचंद के समान नही क्योंकि उन्होंने यथार्थ का चित्रण बड़ी गंभीरता और बारीकी से किया है।

नारी के मान -सम्मान को नीचे नही गिराया अपितु एक वैश्या के किरदार को भी ऊंचा उठाया है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष ताजा चैनल के डायरेक्टर एवं हिंदी दैनिक छपते -छपते के संपादक विशंभर नेवर ने कहा कि कथाकार प्रेमचंद्र ने अपनी कहानियों से समाज में जागृति लाने का प्रयास किया। उन्होंने सामाजिक विषमताओं, समस्याओं और कुरीतियों पर कलम चलाई किंतु दुख की बात ये है कि आज भी ये समस्याएं अपनी जड़े जमाएं हुए है।

कार्यक्रम का कुशलता पूर्वक संचालन thewake.in की संपादक शकुन त्रिवेदी ने किया

धन्यवाद ज्ञापन सदीनामा के संपादक जितेंद्र जीतांशु ने देते हुए प्रेमचंद्र की कहानी ” नमक का दारोगा” का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन्हे हम दबाना चाहते है उनकी ईमानदारी की भी कदर करते है।

इस अवसर पर बांग्ला काव्यपाठ हुआ जिसका संचालन प्रीतम सरकार ने किया। बांग्ला कविता करने वाली कवयित्री: प्रियंका कर्माकर , पद्मा साहा, सुजाता घोष, संपूर्णा चक्रबोर्ती, सविता साहा, असीमा सरकार आदि।

अंत में संजय रोजारियो ने गाना ” चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए” गा कर माहौल सुरमय बना दिया।

उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान करने वालों में फिरदौस लोदी, भरत बेद, वि अरुणा, नुपुर राय, चंद्रिका प्रसाद पांडेय प्रदीप धानुक, बबीता मंडाना, सीमा गुप्ता आदि

 

–Shakun Trivedi

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