डूडल
Shakun
July 14, 2025
Literature
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डूडल (कामचोर)

दो -दो डूडल दोनो डूडल
बैठ कर करते पटर -पटर पचर -पचर
दोनो कुछ भी काम न करते
सारा दिन आराम करते
आराम कर कभी न थकते
बातों में हरदम रमते
पटर पटर पचर पचर.
दुनिया को कुछ न समझे
खुद के ज्ञान पर खुद ही गरजे
सबमें नुक्स निकाले वे
खुद को परफेक्ट माने वे.
काम जरा सा नजर जो आता
कोपभवन में डूडल पसराता
मना -मना कर बच्चे थकते
लेकिन डूडल एक न सुनते
जब खाने की बारी आये
ऑनलाइन का आर्डर भाए
नई डिशेस और नए ड्रिंक्स
मोबाइल से करते फिक्स
नए स्वाद पर अंगुली चांटे
अपने स्वाद को सबसे बांटे
जरा भी प्रेशर हैंडल न करते
लेकिन लेक्चर सबको देते
व्हाट्सप, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम
यही है इनके चारों धाम
सब कुछ उनका गूगल पर
टीचर प्रीचर और स्टीकर
कचर कचर चपर चपर
पटर पटर पचर पचर।।
– शकुन त्रिवेदी