Sunday , July 13 2025

कब हम आजाद हुए

कब हम आजाद हुए

ये आजादी नहीं दूर्निति
और गुलामी का नया स्वरुप है

कब हम आजाद हुए?
ना हम कभी आजाद थे
और ना ही हम आजाद है
आजादी सिर्फ एक सपना था
हमने आजादी को हासिल किया नहीं
मुगलो ने हमें दबाया
अंग्रेजो ने भी!
बर्षो हम उनके गुलाम रहे
हमने अपने अस्तित्व और
अपनी इज्जत से खेला है
हमने समझा नहीं
निष्काम: कर्म क्या है?
दूसरो के लिए मर मिटना क्या है?
हमारा देश हमेशा से
त्याग, तपस्या और
नि:स्वार्थ सेवा का देश रहा
हम पराधीन तब थे
अब भी है
यह देश है
वैचित्र और अनेकता में
एकता बनाये रखने का देश है
स्वाधीनता की लड़ाई
हम सबों ने मिल कर लड़ा
गांधी आए, टैगोर और नज़रुल आए
तिलक, स्वामी विवेकानंद आए
सुभाष चंद्र ने नारा लगाया
आजाद होने का
हम खून पसीना बहाएंगे
लेकिन अपनी आजादी छोडेंगे नहीं
हम मर कर भी अमर होंगें
कितनो ने खून बहाया
कितने घर उजड़ गये
हम तबाह हुए
हमने आजादी की कसम खायी
और हम आजाद हुए
देश का बँटवारा हुआ
एक ही मुल्क के लोग
अपने घरों में बँट गये
ये कैसी आजादी?
हमने अपने जड़ों को तोड़ा और छोड़ा
हमारे दामन लूट गये |
आज का जन-जीवन क्या?
आजादी के पालनो पे पल रहा
हमने दूर्निति बैर, हिंसा को अपनाया
जो हमारे आध्यात्मिक मानसिक
और नैतिकता के खिलाफ है
आज हमारे सिर पर
राजनीति खेल रही
हम गुलाम हैं
आज भी समाज और मुल्क को
बाँटने की साजिशे चल रही
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर
लेकिन आज भी हिंसा और बैर
की चिंगारी – आग धधक रही
हमारे जिस्मो में
क्या हम आजाद हैं?
हम ना तो आजाद थे तब
और ना ही हम आजाद हैं आज
ये हमारी बदनसीबी है
जीवन की |

फादर सुनील रोज़ारिओ
९ जुलाई, २०२५

About Shakun

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *