इस्लामीकरण के भयानक छांगुर तंत्र को कैसे देखें

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में हिंदुओं को मुसलमान बनाने का जैसा तंत्र सामने है वह देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए चेतावनी है। यह स्वतंत्र भारत का अब तक का एक व्यक्ति केंद्रित हिंदुओं को मुसलमान बनाने का ऐसा सबसे बड़ा तंत्र सामने आया है जो कंपनी की तरह व्यवस्थित है, जिसकी अनेक परतें हैं , जिसमें हिंदुओं को फंसाने ,बरगलाने के लिए युवक – युवतियों की तैयार फौज सक्रिय है, उनकी संख्या बढ़ाई जा रही है और तंत्र के स्थायी देशव्यापी ठोस ढांचे के रूप में विस्तृत होने की प्रक्रिया भी जारी है। छांगुर उर्फ जिंदा पीर ऊर्फ जलालुद्दीन को जिन्होंने कपड़ों की फेरी लगाते, अंगूठी, नग, माला देते देखा होगा उन्होंने सपने में भी उसके वर्तमान रूप की कल्पना नहीं की होगी। ऐसा व्यक्ति, जिसका अपने समाज में भी महत्व नहीं हो, 500 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा कर ले , विदेशों में भी उसका नेटवर्क हो जाए, हिंदू लड़कियों – महिलाओं को मुसलमान बनाता रहे और उसके विरुद्ध शिकायत करने वाले की ही शामत आ जाए तो इसके विश्लेषण के लिए शब्द ढूंढने पड़ेंगे। देश – विदेश में मोटा-मोटी तीन दर्जन बैंक खाते, जिनमें लगातार धन आ और निकल रहे होंं किसी बड़ी कंपनी की गतिविधियों जैसी है। बलरामपुर का मधुपुर गांव उत्तर प्रदेश एटीएस यानी आतंक विरोधी दस्ता, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों , आयकर विभाग, ईडी से लेकर मीडिया की गतिविधियों का केंद्र बना है। प्राथमिक सूचना थी कि वह लगभग 1500 हिंदुओं को इस्लाम मजहब में ला चुका है किंतु अब कई गुना ज्यादा संख्या सामने आ सकती है। इस घटना के अभी अनेक पहलू रहस्य में हैं। यह ऐसे काफी प्रश्न उठाता है जिन पर विचार करना आवश्यक है?
उसके बारे में नियमित हैरत में डालने वाली नई जानकारियां सामने आ रहीं हैं जो धरातल पर थीं। गांव में तीन बिघे में बना हुआ 70 कमरे का आलीशान मकान जिसमें सारी आधुनिक सुख – सुविधायें और निर्माण ऐसी कि लोगों को बंद कर कुछ भी कर दिया जाए तो बाहर पता न चले। आठ बुलडोजर को 40 कमरे वाले हिस्से को तोड़ने में तीन दिन लगे। उसकी कहानी पर सहसा विश्वास नहीं होता। उसकी ताबीज़ या नगों से कुछ लोगों को कठिनाइयों से थोड़ी बहुत मुक्ति मिली तो उन्होंने छांगुर को पीर मनाना शुरू किया और उसकी ख्याति बढ़ी। पत्नी को प्रधानी का चुनाव लड़वाया , वह दो बार जीती और क्षेत्र में उसका कद बढ़ा। इसके पीछे भी कितने लोगों का दिमाग था इसकी परतें खुलनी अभी बाकी है। नीतू और नवीन के मुसलमान बनने के दस्तावेज दुबई के हैं। यह कैसे संभव हुआ? वे अनेक बार विदेश गए। दोनों के 19 बार दुबई जाने के रिकॉर्ड हैं जिनमें केवल एक बार साथ गये! अजीब रहस्य है। ईसाई मिशनरियां दलितों व जनजातियों को लक्ष्य बनाकर धर्मांतरण करतीं हैं। उनके पास हर क्षेत्र का जनांकिकीय डाटा है। उसने वहां से डाटा हासिल किया और उत्तर प्रदेश के अलावा 550 से ज्यादा जिलों की पहचान की थी जहां हिंदू युवतियों- महिलाओं को मुस्लिम बनाने का योजनाबद्ध अभियान चलना था। कुछ हजार को उतारा भी था। सोचिए, कितनी बारीकी से वह भारत के इस्लामीकरण पर काम कर रहा था और हिंदू या गैर मुस्लिम बहुसंख्य समाज में उसका बाल तक बांका नहीं हुआ। उसके अकेले के दिमाग की बात नहीं हो सकती। क्या यह आपको नए सिरे से ऐसे तत्वों के मुकाबले के लिए भूमिका तैयार करने की चेतावनी नहीं है?
हिंदू जाति व्यवस्था का ताना देने वाले ध्यान रखें कि बड़ी संख्या में ब्राह्मण और राजपूतों की लड़कियों ने छांगुर तंत्र के प्रभाव- दबाव में इस्लाम कबूल किया है। नीतू वोरा और नवीन वोरा ही नसरीन और जमालुद्दीन कैसे बन गए? इनके मामले में जाति पहलू नहीं है। मुंबई में व्यापार करने वाले दोनों पति-पत्नी कठिनाई में संपर्क में आए। वह मुंबई जाने पर उन्हीं के यहां ठहरने लगा। इन दोनों ने तय कर लिया कि गांव में उसके साथ ही रहना है और इसलिए संपत्ति बेची। छांगुर की हिंदुओं के इस्लामीकरण की कल्पना को साकार करने के लिए जिंदगी लगा दी। घर के साथ शहर की जमीन, दूकानें भी नीतू के नाम है। इनके खातों में ही ज्यादा धन आए और निकले। कोई अपने विचार से मजहब बदले यह उसका अधिकार है। किंतु धन ,बाहुबल और हर तरीके से जाल में लाकर , विवश कर इस्लामीकरण का यह तंत्र अपराधियों माफियाओं का गिरोह जैसा था।आम लोगों का उसमें फंसकर विवश हो जाना आश्चर्य का विषय नहीं है। शायद छांगुर का भयानक तंत्र कायम रहता यदि चंगुल में फंसी कुछ लड़कियां, महिलायें बाहर नहीं आती। एक घटना में अनाम से संगठन विश्व हिंदू रक्षा परिषद ने जब लखनऊ में कुछ की हिंदू धर्म में वापसी का हवन किया और मीडिया में बातें आई तब देश के संज्ञान में आया कि छांगुर इन सबके पीछे है।
यह स्थिति डराने के साथ खीझ भी पैदा करती है कि एक व्यक्ति सरेआम हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने की इस्लामी कॉर्पोरेट शैली में कंपनी खड़ी कर उत्तर प्रदेश से विदेश तक विस्तारित कर लेता है और पुलिस, प्रशासन, संगठनों, जनप्रतिनिधियों को इतने वर्षों तक पता नहीं चलता। उसने मुख्य मार्ग से अपने किले तक 500 मीटर सड़क बना लिया। 50 कमांडो तैयार किए जो खुलेआम चलते थे। ऐसा संभव नहीं कि लोग पुलिस, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों तक शिकायत लेकर नहीं गये हों। पुलिस प्रशासन में हैसियत ऐसी कि छांगुर का सहयोगी भागकर पुलिस में शिकायत किया, पर उसके विरुद्ध ही धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया। एक स्थानीय मुस्लिम उसके बारे में पत्र लिखते रहे लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। उसके खातों में विदेश से पैसे आते रहे, उसके लोग असामान्य रूप से विदेश जाते- आते रहे और केंद्रीय एजेंसियों के कान खड़े नहीं हुए। तो इसके अर्थ क्या हैं? प्रदेश के जितने पुलिस प्रशासन के लोगों का नाम आ रहा है वे सब हिंदू हैं। राजस्थान के उदयपुर के स्वर्गीय कन्हैयालाल की शिकायत भी पुलिस ने दर्ज नहीं की और गला काट कर उनकी हत्या हो गई। बिहार में 3 वर्ष पहले पीएफआई के 2047 तक भारत को गजवा ए हिंद बनाने के तंत्र मामले में भी फुलवारी शरीफ के मुस्लिम पुलिस अधिकारी के मोबाइल पर खतरनाक मैसेज आया, पर उसकी शिकायत को फाइलों में बंद कर दिया गया। ऐसा अनेक मामलों में होता है। यह सच है कि केंद्र और अनेक प्रदेशों में भाजपा की सरकारें आने के बाद स्थिति बदली है और आज केंद्र तथा प्रदेश की भाजपा सरकार के कारण ही कार्रवाई संभव हो सकी। दूसरी सरकारों में छांगुर और उसके मजहबी उन्मादी सहयोगी इस्लामीकरण का पूरा माफिया तंत्र कायम कर चुके होते। बावजूद स्वीकारना होगा कि अभी भी मजहबी मतांतरण, लव जेहाद, मजार, मदरसों के नाम जमीन कब्जा करने आदि अनेक मामलों की आरंभिक शिकायत पुलिस प्रशासन गंभीरता से नहीं लेती, प्रायः संगठनों , राजनीति का रवैया भी उत्साहजनक नहीं रहता तथा उनके विरुद्ध काम करने वालों के जीवन में ही संकट पैदा हो जाते हैं।
ट्रेजेडी देखिए, अभी तक भाजपा विरोधी पार्टियों , नेताओं, एक्टिविस्टों मीडिया के पुरोधाओं में से किसी ने इस पर समान्य विरोधी प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं की है। क्या निर्दोष, निरपराध हिंदू लड़कियों महिलाओं की इज्जत, गरिमा , उनके मानवाधिकार का महत्व नहीं? इसका उत्तर उनसे मांगा जाना चाहिए। ऐसे मामलों में एकमात्र भाजपा ही हिंदुओं के साथ खड़ी दिखती है। बावजूद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के अंदर ऐसा होना बताता है कि पूरे एप्रोच में आमूल बदलाव की आवश्यकता है। भारत में इस्लामिक कट्टरता का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश है। पुलिस प्रशासन का भ्रष्टाचार, अनेक नेताओं की दिशाहीनता तथा कायरता ही इसके पीछे मूल कारण है। मदरसों के सर्वेक्षणों में भी भ्रष्टाचार ने कालिख पोत दिया। मदरसों गैर निबंधित होना सबसे छोटा पहलू था। मुख्य पहलू यह है कि छोटे-छोटे मदरसा चलाने वाले मौलवी भी इतनी विदेश यात्राएं क्यों और कैसे करते हैं, उनके पास सुख -सुविधा कहां से आई? कुछ वर्षों के उनके पासपोर्ट वीजा तथा नामी बेनामी संपत्तियों पर नजर डालने की आवश्यकता थी है। भारत के हिंदुओं या सनातनियों को समझ में आना चाहिए कि चारों तरफ उनके विरुद्ध अलग-अलग तंत्र के रूप में घात लगाए हर अस्तर से शक्तिशाली शिकारियों का झुंड बैठा है। आप चौकन्ने रहकर उनके मुकाबले के लिए तैयार नहीं है तो फिर कोई सरकार या व्यवस्था आपको हिंदू या सनातनी के रूप में बचा नहीं सकती।