सनातन धर्म की अस्मिता का प्रतीक है राममंदिर :
स्वामी जगधात्रीय दास हमारी सनातन संस्कृति के
अनेक बड़े-बड़े मंदिरों को कई देशों ने ध्वस्त किया है परन्तु भगवान राम हमारे आराध्य है और अब
उनका भव्य मंदिर 22 जनवरी 2024 को उद्घाटन हो रहा है- यह अत्यंत ही प्रसन्नता का विषय है।’ ये
विचार है इस्कॉन के स्वामी जगधात्रीय दास जी महाराज के जो श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा आज
श्री बैकुंठनाथ मंदिर में आयोजित एक विशिष्ट समारोह में बोल रहे थे। यह समारोह पश्चिम बंगाल के
रामभक्तों द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें 5 नवम्बर को रामलला-अयोध्या से ससम्मान लाये गये
अक्षत कलश की अभ्यर्थना की गई। वि·ा हिन्दू परिषद के केन्द्रीय सहमंत्री श्री सपन मुखर्जी ने बताया
कि इस अक्षत कलश से करीब 35 अक्षत कलश पूजित किए गए है जो दक्षिण बंगाल के प्रत्येक जिले में
ले जाए जाएगे। 1 जनवरी से 15 जनवरी तक गाँव गाँव में जाकर इन अक्षतों को वितरित कर राममंदिर
के भव्य उद्घाटन हेतु संपर्क किया जायेगा। करीब 400 रामभक्तों की उपस्थिति में यह समारोह भव्य
रूप से आनन्द के साथ संपन्न हुआ। प्रेमाश्रम रिसड़ा के स्वामी श्री निर्गुणानंदजी महाराज ने अपने
संबोधन में कहा कि 500 वर्षों के लंबे संघर्ष काल में अनेक रामभक्तों ने बलिदान दिए। हमारे यहां
हुतात्मा राम-शरद कोठारी ने भी अपना बलिदान दिया है। सब को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए
महाराज श्री ने कहा कि हमें यहीं नहीं रुकना हैं बल्कि रामराज्य स्थापित होने तक सतत् प्रयास करना
है।
समारोह में इन सभी कलशों के मंत्रोच्चार के साथ पूजन का कार्य संपन्न किया स्वामी श्री
निर्गुणानन्द जी महाराज ने। समारोह का संचालन किया श्री सपन मुखर्जी ने तथा कृतज्ञता ज्ञापित की
श्री माणिक पाल एवं श्री रतन चक्रवर्ती ने। बड़ाबाजार क्षेत्र के अक्षत कलश को रामगोपाल सूंघा, ब्राहृानंद
बंग, महावीर बजाज, अशोक दूबे प्रभृति कार्यकत्र्तागण की उपस्थिति में अपने शिरोधार्य किया वि·ा हिन्दू
परिषद पश्चिम कोलकाता के महामंत्री डॉ. विजय हरभजनका ने।
समारोह में सर्वश्री जयन्त राय चौधरी, शंशाक दा, प्रशांत भट्ट, शचीन्द्रनाथ सिंह, सुनील सिंह, चम्पालाल
पारीक, श्रीनिवास, कैलाश गुप्ता, राजकुमार भाला, राजू लाठ, ऊषा बाघेला, पूर्णिमा चक्रवर्ती, अनिता बूबना, ऊषा
पांडेय, जयन्त पाल प्रभृति हावड़ा-कोलकाता के अनेक गणमान्य व्यक्तियों सहित संत समाज के अनेक
महात्मा उपस्थित थे। समारोह का पूरा वातावरण राममय हो गया था एवं आरती के साथ हर्षोल्लासपूर्वक समारोह का समापन हुआ।