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भगत सिंह और आर्य समाज

कोलकाता की कॉलेज स्ट्रीट,भगत सिंह और आर्य समाज

         आर्य भवन

कोलकाता के हिंद सिनेमा से लेकर श्याम बाजार पांचमाथा मोड़ तक का रास्ता कॉलेज स्ट्रीट कहलाता है ।अब इसका नया नाम विधान सरणी है। इसका एक कोना ,बंद हो चुके लोटस सिनेमा से थोड़ा आगे आकर धर्मशाला से मौला अली जाने वाले रास्ते के बीचों बीच हिंद सिनेमा की से शुरू है । इसी सड़क पर आगे जाने पर कलकत्ता विश्वविद्यालय , कॉलेज स्ट्रीट एमजी रोड क्रासिंग, बाटा मोड़ ,जहां से दाएं तरफ रास्ता कोलकाता पुस्तक मेला लगाने वाली गिल्ड ऑफिस की तरफ जाता है । आगे ठनठनिया कालीबाड़ी से श्याम बाजार की तरफ बढ़ने से दाहिनी तरफ है आर्य समाज भवन। आर्य समाज भवन में वर्षभर गतिविधियां आयोजित होती हैं। दिसंबर में इसके बड़े आयोजन होते हैं , कल में यहां गया और काफी देर तक लोगों से बातचीत की।

यहां आकर पता चला कि यहां कभी भगत सिंह रहते थे । यहां वह कमरा भी देखने को मिला जहां पर वे रहते थे । यहां भगत सिंह रहे यह पंजाब के स्वाधीनता आंदोलन की परंपरा है। आज का आलम यह है कि अब यह भवन एक मंदिर समझा जा रहा है। यह भवन आज आर्य समाज की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है ।इसके आसपास के लोग इस बात को नहीं जानते कि यहां कभी भगत सिंह रहा करते थे या आर्य समाज एक आंदोलन भी था। यहां भगत सिंह के रहने का कारण तत्कालीन पंजाब में आर्य समाज की गतिविधियों से और आर्य समाज के लोगों से जुड़ा होना है। मुझे यह कहते हुए कोई हिचक नहीं है कि आर्य समाज आजादी के आंदोलन से सीधा जुड़ा रहा। इस बात को लोगों को बताने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं हम सबकी है। वैचारिक सामाजिक क्रांति की संस्था का पंडिताई की संस्था में बदल जाना अखरता है। यह हम सब की जिम्मेदारी में आता है कि हम संस्थाओं के इतिहास को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करें।

आज की तारीख में बहुत जरूरत है । आलम तो यह है कि इस क्षेत्र के विधायक जो खुद एक अखबार के मालिक हैं इसे सिर्फ एक मंदिर समझते हैं । उनके अखबार ने कभी इस तथ्य पर कुछ भी नहीं लिखा । आर्य समाज के विज्ञापन और छुटपुट खबरें तो छपती है लेकिन इसके वैचारिक पक्ष पर भी लिखा जाना चाहिए । इसी वजह से भी आसपास के लोग इसे एक मंदिर समझते हैं । मंदिर में जाने से स्थानीय विधायक को कभी-कभी और घोर आपत्ति होती है और कभी वे इसके गेट से वापस चले जाते हैं , यह कहते हुए कि मंदिर में मेरा क्या काम ? संस्थाओं को जगाने की जरूरत होती है। किसी समय में यह संस्था लगातार वैचारिक आयोजन करती थी । यहां कभी वैचारिक पक्ष की जिम्मेदारी निभाने वाले प्रो . उमाकांत मालवीय ने भगत सिंह के इस प्रवास पर एक पुस्तिका भी लिखी है जिसका नाम है, “अमर अमर शहीद सरदार भगत सिंह कोलकाता में”. प्रोफेसर उमाकांत उपाध्याय ने आर्य समाज का इतिहास भी लिखा है .जिसमें से कुछ हिस्से को लेकर में यह पुस्तिका प्रकाशित हुई है । हमें इस पुस्तिका में दिए तथ्यों पर बात करनी चाहिए ।

इसी पुस्तिका में वे लिखते हैं “ आर्य समाज कोलकाता की भूमि स्वदेशी आंदोलन की भूमि रही है। यहां लाल बाल पाल , लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल जैसे स्वदेश भक्तों के व्याख्यान हो चुके हैं । यह मंदिर निर्माण से पूर्व का इतिहास है। इसी मैदान में विदेशी वस्त्रों की होली जली थी और इसी मैदान में राखी बंधन हुआ था । इस मैदान में बात की बात में पुलिस लाठी चार्ज कर देती थी । यह मैदान आर्य समाज के मंदिर के निर्माण से पूर्ण क्रांति का मैदान और क्रांतिकारियों का कार्य स्थल रहा है। “ आज की तारीख में आर्य समाज कोलकाता की इन गतिविधियों के बारे में आम जन को ज्यादा जानकारी नहीं है । हमने इधर पूछताछ की तो लोगों ने बताया कि यह आर्य समाज मंदिर है यहां हवन होते रहते हैं। आर्य समाज मंदिर की साहित्यिक और ऐतिहासिक गतिविधियां रहीं हैं लोगों बताने की जिम्मेदारी, हम सबकी है। हमें आगे आकर अपना योगदान देना चाहिए।

आमीन

जितेंद्र जीतांशु

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