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पोखरा, नेपाल में तीन दिवसीय ” नेपाल -भारत साहित्य महोत्सव संपन्न

  • पोखरा, नेपाल में तीन दिवसीय *नेपाल भारत साहित्य महोत्सव* सफलतापूर्वक हुआ संपन्न।
नेपाल में भारतीय राजनयिक सत्येंद्र दहिया दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए
शीतल सिंह राघव

भारतीय दूतावास काठमांडू, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान, पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान, ज्योतिष भविष्यवाणी मेडिया प्रा लि, लेखनाथ साहित्य प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान मे भारत की क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा पोखरा, नेपाल के पृथ्वी नारायण कैंपस, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान के भानुसभा हाल में आयोजित तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के पंचम संस्करण का भव्य उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार श्री सरूभक्त श्रेष्ठ, भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि श्री सत्येन्द्र दहिया, गंडकी प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति श्री सूर्य खड़का बिखर्ची, पोखरा प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति श्री पद्मराज ढ़काल, बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति डा घनश्याम न्यौपाने परिश्रमी, चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ, भारत के इतिहास विभागाध्यक्ष और इतिहासकार प्रो. विघ्नेश कुमार, वरिष्ठ साहित्यकार व समाजसेवी श्री गणेश प्रसाद लाठ मुख्य वक्ता रहे सभी ने दीप प्रज्वलित कर किया इससे पूर्व इसका शुभारंभ नेपाल व भारत के राष्ट्रीय गीत से किया गया ।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता नेपाल के वरिष्ठ भविष्य वक्ता व साहित्यकार डा बलराम उपाध्याय रेगमी ने किया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नेपाल संगीत व नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठान के पूर्व कुलपति वरिष्ठ साहित्यकार श्री सरूभक्त श्रेष्ठ ने इस तरह के आयोजन से नेपाल भारत का सांस्कृतिक , साहित्यिक , धार्मिक सम्बन्ध में मिठास आएगा और दोनों देशों के लेखकों व शोधार्थियों के लिए सेतु का काम करेगा। हमारे आपके बीच का दूरीयां कम होगी। एक दूसरे का साहित्यिक इतिहास जानने का बेहतर मंच है ये ।

विशिष्ट अतिथि इतिहासकार प्रो विघ्नेश कुमार ने कहा कि नेपाल भारत उन्होंने कहा इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए । दोनो देश के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक , साहित्यिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध को हम अनदेखा नही कर सकते और भारत में 1857 की क्रांति और नेपाल की भूमिका सहित नेपाल भारत के ऐतिहासिक जानकारी सभी से साझा की ।

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव आयोजक डा . विजय पंडित ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला ।

बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान के कुलपति डॉ घनश्याम न्यौपाने परिश्रमी का भारत नेपाल के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक भाईचारा, मैत्री कायम रखने और देवनागरी लिपि पर केंद्रित उद्बोधन में कहा भारत की क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा लेखनाथ साहित्य प्रतिष्ठान और ज्योतिष भविष्यवाणी साप्ताहिक के सहयोग से वसुद्धैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ पोखरा मे आयोजित किया जा रहा है जिसका उद्देश्य नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण करने के साथ परस्पर सहयोग, प्रेम, मैत्री, साहित्य का विस्तार, अनुवाद, शोध, विचारों का आदान प्रदान, युवाओं की भागीदारी से दोनों देशों के संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाना है ।

 

कार्यक्रम का संचालन पौडेल बिमुंश द्वारा नेपाली, हिन्दी दोनों भाषाओं में किया गया ।

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के प्रथम संयोजक, वरिष्ठ साहित्यकार मुख्य वक्ता श्री गणेश प्रसाद लाठ ने साहित्यिक महोत्सव में कृतियों के अनुवाद, प्रकाशकों व पाठकों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उद्घाटन समारोह में ‘नेपाल भारत साहित्य महोत्सव’ की स्मारिका का विमोचन किया गया।

लघुकथा सत्र में भारत से विभारानी श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, अमृता सिन्हा, नीता चौधरी, ऋचा वर्मा, डा ममता पंत, मीरा प्रकाश, सीमा रानी, कृष्ण कुमार ‘आशु’, अनिता निधि नेपाल से लघुकथाकार भाषा आयोग के माननीय सदस्य डा पुष्कर राज भट्ट, कल्याण पंत, श्याम श्रेष्ठ और किशन पौडेल शामिल रहे

लघुकथा सत्र में किशन पौडेल की हिन्दी में प्रकाशित लघुकथा पुस्तक अंतर्दृष्टि का भव्य विमोचन किया गया और चर्चा की गई।

कहानी सत्र में महाराष्ट्र से विपिन पंवार और डॉ हरेंद्र हर्ष शामिल रहे।

प्रथम दिन का समापन ग़ज़ल और बहुभाषी कविता के नाम रहा, सत्र संचालन डा देवी पंथी ने किया, कादंबिनी नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कविता, गीत, गज़ल को समर्पित इस में 77 नेपाली व भारतीय कलमकारों ने शिरकत की ।

 

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन के उद्घाटन सत्र में नेपाल के वरिष्ठ साहित्यकार श्री माधव वियोगी रहे और दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।

द्वितीय दिवस का प्रथम सत्र शोध-पत्र (कार्यपत्र) का रहा जिसमें पर्यटन साहित्य: एक विमर्श लेखक श्री ऋषभ देव घिमिरे ने प्रस्तुत किया।

दूसरा कार्यपत्र साहित्यिक व कला क्षेत्र में प्रतिलिपि का अधिकार श्री विशु कुमार के. सी ने प्रस्तुत किया।

तृतीय कार्यपत्र भारतीय साहित्य का नेपाल संबंध विषय पर भारत के श्री कमल किशोर वर्मा कमल ने प्रस्तुत किया।

भारत से डा घरो चौधरी ने ‘महान स्वप्नदर्शी का यात्रा दर्शन’ विषय पर रहा।

डा ममता पंत ने ‘कुमाऊंनी लोकगीतों में स्त्री वेदना’ विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो उर्वशी गहलौत नेपाली व भारतीय साहित्य में नारी हस्ताक्षर विषय पर शोध-पत्र व परिचर्चा में शामिल रहीं।

 

दूसरे सत्र में हिन्दी, नेपाली, अंग्रेजी भाषाओं की अनेक पुस्तकों का विमोचन हुआ साथ ही कवि सम्मेलन, मुशायरा व सम्मान समारोह आयोजित किया गया ।

भारत से अभिराम पाठक, अर्जुन सिंह चांद, सत्य प्रकाश सत्य, सुरेश सोनपुरे, डा हरेंद्र हर्ष, शकुन त्रिवेदी, रंजीता जोशी, श्वेता मौर्या, डा उर्वशी गहलौत, गोपीचंद चौरसिया, डा त्रिलोक चंद फतेहपुरी, राव शिवराज सिंह, पूनम कतरियार, सुनील कुमार, मौत नसीम अख्तर, संगीता वर्मा, डा गोकुल बहादुर क्षत्रिय, डा संदेश त्यागी, डा अरूण शैहरीया ताईर, प्रो नवजोत भनोत, एडवोकेट समर बहादुर, गार्गी राम, पूनम देवा, संगीता गोविल, डा मीना कुमारी परिहार, सीमा वर्णिका, अनुपमा सिंह, इंद्रजीत चक्रवर्ती, अरविंद तिवारी, ममता कर्ण, ललित लोहार, विष्णु भंडा.

शीतल सिंह राघव

 

 

 

 

 

 

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