शिवना नवलेखन पुरस्कार 2024 की घोषणा
‘शिवना नवलेखन पुरस्कार’ 2024 की घोषणाः रश्मि कुलश्रेष्ठ और शुभ्रा ओझा की साहित्य में दस्तक
Read More »अपने ही घर में फिर स्वदेश हारेगा
वातायन – 1 एक अभिशप्त वृक्ष की व्यथा-कथा – डॉ0 शिव ओम अम्बर पिछले कुछ दिनों से देश में घटित होती तमाम विक्षोभकारी घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में मुझे एक कहानी बार-बार याद आ रही है। मैंने सुना है कि एक व्यक्ति के द्वारा लगाये गये बाग में सदैव विविध पक्षियों …
Read More »मानस का स्वाध्याय रही माँ- डॉ शिव ओम अम्बर
08.01.2005 मानस का स्वाध्याय रही माँ, श्रद्धा का पर्याय रही माँ – डॉ शिव ओम अम्बर 1. आज सुबह जयपुर से संजू का आगमन हुआ, गीतू की शादी के बाद ये यह उसका दूसरा चक्कर है, दिसम्बर में भी आया था। 2. मित्रों की यात्रा-कथाएँ – कमलेश शर्मा अपनी …
Read More »बहुत अभिशप्त ये ऊंचाईयां है
06.01.2005 नियति में आपकी विषपान होगा, जुबां पे आपकी सच्चाइयां है – डॉ शिव ओम अंबर 1. लखनऊ पहुँचने पर पता चला कि नीरज जी मेरे सन्दर्भ में अपनी कुछ पूर्वाग्रहग्रस्त प्रतिक्रियाएँ सोम जी, अनूप श्रीवास्तव आदि से प्रकट कर चुके हैं, सभी ने अलग-अलग चर्चा की। 2. नीरज जी …
Read More »गंदा आदमी
गोपाष्टमी(9 नवंबर 2024) के अवसर पर: रावेल पुष्प गाय को हमारे देश में मां का स्थान प्राचीन काल से ही मिला है, इसका जिक्र कई ग्रंथ करते हैं। लेकिन आज जब भी गोपाष्टमी की बात सामने आती है तो मेरे जेहन में बचपन की कुछ घटनाएं अनायास कौंधने …
Read More »कल है भाई दूज त्यौहार
सुनो भाई कान खोलकर, कल है भाई दूज त्यौहार टीका, रूचना तुमको करना और साथ मिठाई देना लंबा खर्चा ऊपर से नखरा तेरा मैं क्यों करती बर्दाश्त आया भाईदूज त्योहार लाया खुशियां अपार। सुन, सुबह – सवेरे जल्दी उठ कर करना है स्नान पहन के कपड़े नए- नए फिर करना …
Read More »राम जाने क्या भविष्यत् है हमारे बाग़ का
चम्बली हर फूल है तो नक्सली है हर कली सूर्य कुमार पाण्डेय ने 02 जनवरी के खादी ग्रामोद्योग के लिये कार्यक्रम का ज़िक्र किया था, उसका औपचारिक पत्र आया है। किन्तु अभी यह आमन्त्रण नहीं है, अर्थ-राशि आदि के विषय में जानकारी के लिये आया पत्र है। 2. 25 दिसम्बर …
Read More »चलो करे सफाई
दिवाली है आने वाली चलों करे सफाई सुन मेरी माशा रानी दीवारों पर लिखा जो तुमने उन्हें मिटा लो आज, तब तक दादी कर लेतीहै लगे हुए जालों को साफ माशा को ये मंजूर नहीं था बोली काम नहीं करुँगी दादी तुम् कर लो पूरे घर को साफ़ मै देखूंगी भालू , बंदर …
Read More »ये मोहल्ला जी रहा है इन दिनों फाकाकशी
18.12.2004 भीड़ खुश होकर बजाए जा रही है तालिया कल के दोनों खलनायकों के पिता आज विद्यालय आये। एक लड़के ने तो अपने पिता के कहने के बावजूद अपनी ग़लती मानने और क्षमा माँगने से इन्कार कर दिया, दूसरे ने ज़रूर क्षमा-याचना कर ली। इन दिनों सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यास …
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