समीक्षा— विपश्यना लेखिका– इंदिरा दांगी विपश्यना कहानी संग्रह विदुषी इन्दिरा दांगी जीवन की अनुभूतियों अनुभव को समेटे काल कलेवर के परिवर्तित आचरण कि अभिव्यक्तियो कि बेहद सुंदर संकलन है जो प्रत्येक व्यक्ति समाज को स्पर्श एव स्पंदित करती है निश्चय ही इंदिरा दांगी जी का प्रयास सराहनीय है साथ ही …
Read More »धूप के कतरे
समीक्षा– धूप के katare (गजलकार घनश्याम परिश्रमी ) नेपाली भाषा के ख्याति लब्ध साहित्यकार डॉ घनश्याम परिश्रमी जिन्होंने नेपाल और हिंदी गज़लों का विशेणात्मक अध्ययन# विषय पर पी एच डी किया है । गजल विद्वत शिरोमणि से विभूषित डॉ घनश्याम परिश्रमी समालोचक नेपाली ग़ज़ल के शीर्ष शिखर ग़ज़लकार …
Read More »दिल पूछता है
दिल❤️ पूछता है …! पुछता है दिल किस बात पर रूठे हो, किस बात से हो खफा? इस तरह तुम क्यों खुद को दे रहें सजा हो। बेरूखी की मुझे वजह बताया तो होता, किस बात से खफा हो जताया तो होता खता कब और …
Read More »‘चलो फिर से शुरू करें’
चलो फिर से शुरू करें (कहानी संग्रह)
Read More »अनुवाद पर एक दिवसीय संगोष्ठी
*अनुवाद सिर्फ भाषा का ही नही संस्कृतियों का भी होता है… कोलकाता, विद्यासागर कॉलेज के तत्वावधान में अनुवाद के व्यावहारिक पक्ष पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन कॉलेज सभागार में किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता यूको बैंक के मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि अनुवाद संस्कृतियों के …
Read More »जोया देसाई कॉटेज
समीक्षक : डॉ. मधु संधु (पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर) जोया देसाई कॉटेज (कहानी संग्रह) लेखक : पंकज सुबीरप्रकाशक : शिवना प्रकाशन, सीहोर (म.प्र.) …
Read More »संत
संत— मेरठ सैनिक छावनी में सूबेदार मिलन मुखर्जी की नियुक्ति थी मिलन मुखर्जी को किसी भी प्रकार के खतनाक सांप पकड़ने में महारत हासिल था। मेरठ छवनी के कमांडिंग ऑफिसर थे विल्सन जो सूबेदार मिलन मुखर्जी कि बहुत इज़्ज़त करते थे । कमांडिंग ऑफिसर विल्सन की पत्नी मैडम मारिया बहुत …
Read More »ध्रुव तारे अनेक
दीपक एक प्रेम का प्रशस्त मार्ग है आप पृथ्वी आकाश में ध्रुव तारे अनेक अंत भय भ्रम का ज्ञान ऊर्जा प्रकाश ना कोई राज रंक सत महिमा उजियार जीवन सदा उत्साह जन्म जीवन आधार सच्चा पवन ज्ञान जीवन बोध मार्ग भक्ति का मधुपान सत ईश्वर गुणगान छल …
Read More »मकर संक्रांति पर नभ धूसर, धुंधला, या रोशन हो पवन शीत या कुछ गुनगुन भर मन उमंग, तन में तरंग उड़ सकें सभी जैसे पतंग, चख सकें सभी रस जीवन के जब तक रहना संग इस तन के, उत्तरगामी नभचारी हे सूरज दो आशिष एवमस्तु…. वसंत पंचमी पर नवोन्मेष …
Read More »सुबह की धूप
सुबह कि धूप – शिक्षक समाज निर्माण कि धुरी होता है वह समय का साक्ष्य बनकर एव धैर्य धीर रहकर राष्ट्र के निर्माण में अपनी सर्वांगीण भूमिकाओं का निर्वहन करता है शिक्षक के अंतर्मन में वह सभी अवयव आयाम अध्याय हिलोरे लेते तूफान कि वेग से स्वंय कि अभिव्यक्ति …
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