दिवाली है आने वाली चलों करे सफाई सुन मेरी माशा रानी दीवारों पर लिखा जो तुमने उन्हें मिटा लो आज, तब तक दादी कर लेतीहै लगे हुए जालों को साफ माशा को ये मंजूर नहीं था बोली काम नहीं करुँगी दादी तुम् कर लो पूरे घर को साफ़ मै देखूंगी भालू , बंदर …
Read More »ये मोहल्ला जी रहा है इन दिनों फाकाकशी
18.12.2004 भीड़ खुश होकर बजाए जा रही है तालिया कल के दोनों खलनायकों के पिता आज विद्यालय आये। एक लड़के ने तो अपने पिता के कहने के बावजूद अपनी ग़लती मानने और क्षमा माँगने से इन्कार कर दिया, दूसरे ने ज़रूर क्षमा-याचना कर ली। इन दिनों सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यास …
Read More »साथी रे भूल न जाना मेरा प्यार
यादों में आज भी जिन्दा है अप्पाजी ” ठुमरी की मल्लिका, पद्मविभूषण गिरिजा देवी जी” “शकुन तुम मिठाई लेकर मत आना माँ मना कर रही है।” तो क्या लेकर आये ? हमने उनकी बेटी डॉ. सुधा दत्त से पूछा। उधर से आवाज आयी तुम्हारे होटल में क्या बनता है ? …
Read More »सभागृह से विदाई चाहता हूं
सभा में गूंजती हो तालियां जब, सभागृह से विदाई चाहता हूं … 15.12.2004 1. अख़बारों में ‘‘वाह-वाह’’ का, ‘‘अर्ज़ किया है’’ आदि का ज़िक्र हो रहा है, आलेख निकल रहे हैं। 2. मित्रों के अक्सर संदेश आते हैं – मुझे आज सुनना। 3. मैं उस चुटकुले का किरदार बनकर रह …
Read More »सुन लेते है तेजाबी टिप्पणियां
13.12.2004 यहां हर एक नजर उर्दू को फरियादी समझती है… 1. कल फ़ारुख़ सरल दोेपहर के भोजन के समय तक आ गये थे। वह महादेवा के आयोजन से लौट रहे थे, यहाँ से फिर उन्हें दिल्ली जाना था। 2. रात्रि 8 बजे से 10ः30 तक चली कवि-गोष्ठी। अध्यक्षता कंचन जी …
Read More »कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार- 2
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2— देखो पार्थ तुम जागे युग जागा युग चेतना है लौटी।। कुरुक्षेत्र कि समर भूमि कटे मुंड काया से रक्तरंजित लथपथ है लज्जित।। कराहती अधर्म कि अंतिम सांसे अभी शेष महासमर का प्रेरक प्रणेता सरोवर छिपा अवशेष।। भीम प्रतिज्ञा का अंतिम पल भी है आने वाला …
Read More »कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार कुरुक्षेत्र कि अंतिम ललकार— देखो पार्थ तुम जागे युग जागा युग चेतना है लौटी।। कुरुक्षेत्र कि समर भूमि कटे मुंड काया से रक्तरंजित लथपथ है लज्जित।। कराहती अधर्म कि अंतिम सांसे अभी शेष महासमर का प्रेरक प्रणेता सरोवर छिपा अवशेष।। भीम प्रतिज्ञा का अंतिम …
Read More »बोलियों से समृद्ध होती हिंदी
*बोलियों से समृद्ध होता है हिंदी का रोजगारपरक स्वरूप : डॉ. कमलेश कुमार पाण्डेय* कोलकाता 15 सितंबर। “निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल” के मूल मंतव्य के साथ हिंदी भाषा के प्रचार–प्रसार एवं बोलियों को समृद्ध करने तथा रोजगारपरक बनाने की जरूरत है – ये उद्गार हैं सेंट …
Read More »अग्नि के गर्भ में पल होगा
07.12.2004 आज सवेरे से अलका की तबीयत ख़राब है, टॉन्सिल की पीड़ा है, बुख़ार है। विद्यालय से फ़ोन किया था, दीपा ने बताया कि विश्राम कर रही है – सौरभ ने कोई दवा लाकर दी है। कल बॉबी के जन्म-दिवस पर दीपा के साथ प्रेमा के यहाँ गया था, …
Read More »हिंदी भाषा -भाषी को हीनता से न देखे
बाहरी कहना बंद करे, हम यही के भूमिपुत्र – जितेंद्र तिवारी हिंदी भाषी पूर्वज यहां आए थे अपना घर -द्वार छोड़कर। उन्होंने यहाँ की संस्कृति – खान -पान,भाषा, बात -व्यवहार सब अपनाया किन्तु आज उनके परिवार, बच्चों की स्थिति बहुत खराब है. यहां हिंदी भाषियों को बाहरी लोग कहाँ जाता है. अपनी …
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