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प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता डिजिटल से ज्यादा है

हिंदी पत्रकारिता का निरंतर गिरता  स्तर चिंतनीय :  विशंभर  नेवर 
पाठक मंच द्वारा तृतीय स्थापना संगोष्ठी : “कोलकाता की हिंदी पत्रकारिता सन्दर्भ २०० वर्ष”   का आयोजन प्रेस क्लब  के प्रांगण में किया गया. कार्यक्रम,  रिचा कनोडिया (ध्यान साधिका)  द्वारा उपस्थित सभी श्रोताओं के साथ ओम का उच्चारण और ध्यान साधना द्वारा आरंभ किया गया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, ‘बाबा साहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय  की कुलपति, सोमा बंदोपाध्याय ने अपने विचार रखते हुए कहा:  स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी की शक्ति को पहचाना गया. उस समय बहुत से पत्रकारों ने हिंदी अखबार निकाले। आज भी हिंदी अखबार  निकल रहे है ये बात अलग है कि आज  का समय डिजिटल मीडिया का है किन्तु प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता डिजिटल से ज्यादा है।
डॉ अमरनाथ ने हिंदी पत्रकारिता पर व्यापक दृष्टिकोण डालते हुए कहा कि-  पत्रकारिता का जन्म प्रतिरोध के लिए, विरोध के लिए , सत्ता के खिलाफ, व्यवस्था के   खिलाफ,  जनता द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए हुआ  था।  उन्होंने अपनी वक्तिता में शायर ‘अकबर इलाहाबादी ‘ के शेर  ” खींचो न कमानों को न तलवार निकालो. जब तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालो।” का उदाहरण  देते हुए अख़बार और पत्रकारों  की भूमिका पर चर्चा की।
  पूर्व आईपीएस, ओम प्रकाश गुप्ता के अनुसार – प्रेस का अलग रूप देख रहे है, बहुत सी बातें जिन्हे हम जानना  चाहते है वे दबी रहती है।  सच्चाई को सामने नहीं आने देते।  मीडिया की भूमिका कैसी होनी चाहिए इस पर विचार करना आवश्यक।
अशोक झा:  इतिहासके बिना भूगोल की कल्पना असंभव  अतः हिंदी पत्रकारिता  का इतिहास जानना आवश्यक है। आजकल के समाचार पत्र में अंग्रेजी  शब्दों का  अत्यधिक  प्रयोग जो असहनीय है।  पत्रकारिता के पीछे का दर्द क्या है उस पर  कभी गंभीरता से चर्चा नहीं होती है। इन सभी बिंदुओं पर चिंतन और मंथन करना  आवश्यक है.
पूर्व जज उत्तम कुमार शाह द्वारा – पत्रकारिता को मिशन के रूप में लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है.  पत्रकार की जिम्मेदारी  सामाजिक समस्याओं को प्रकाश में लाना है।

अध्यक्षीय वक्तव्य में छपते -छपते के सम्पादक विशम्भर नेवर ने कहा कि  पत्रकारिता का स्तर निरंतर गिर रहा है, बहुत बार सच्चाई की गहराई में बिना जाये ही खबर छप  जाती है जिसका पाठक पर बहुत गलत  प्रभाव पड़ता है। गिरते हुए स्तर पर  एक प्रधानमंत्री का उदाहरण दिया जिसका इंटरव्यू एक फिल्म कलाकार ने स्तरहीन सवालों के साथ लिया था।
कार्यक्रम के दौरान  संस्थापक सीताराम अग्रवाल ने अपनी संस्था के उद्देश्य पर प्रकाश डाला एवं  सभी अतिथियों को सम्मानित करते हुए कहा कि अपने – अपने क्षेत्रों की विशिष्ट विभूतियों को सम्मानित करके मैं स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
 सम्मानित व्यक्तियों में मुख्य रूप से कोलकाता में आजादी के पहले से चलने वाले दो समाचार पत्रों के प्रतिनिधि,  विश्वामित्र से प्रदीप शुक्ला,  भारतमित्र से नीतेश बाजपेई थे।
प्रेस क्लब के पदाधिकारियों का सम्मान किया गया. पत्रकारों  में   सचिदानंद मीनाक्षी सांगनेरिया आदि थे. सामाजिक कार्यकर्ताओं में  बिमल शर्मा, कमलेश जैन, दिव्या प्रसाद, आरती सिंह , श्रद्धा टिबरेवाल , उषा जैन उर्वशी, रीता पात्रा, सुनीता बुनना। कार्यक्रम में उपस्थित थे महाबीर प्रसाद रावत, रीमा पांडे, प्रदीप धानुक  आदि।

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