Saturday , June 21 2025

Shakun

गोष्ठी  “दस्तक, विश्व युद्ध  विभीषिका की” संपन्न

किसी को जब मारते है तो फोटो खींच कर नहीं रखते –  कर्नल कुणाल भट्टाचार्य  ” द वेक ” द्वारा  राजस्थान कॉमर्स हाउस के सूचना केंद्र में एक गोष्ठी  ” फिर दस्तक, विश्व युद्ध  विभीषिका की”  का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आरंभ द वेक के प्रबंध  संपादक मनोज त्रिवेदी …

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खून और सिंदूर

खून और सिंदूर—– हार नहीं निर्भीक निडर पथ विजय हमारा कहती है दुनियां जानती है दुनियां भरत भारत कि सेना है हम!!   आंख दिखाए गर कोई औकात बता देते है हम माँ भारती के वीर सपूत दुश्मन का नामो निशान मिटा देते है हम कहती है दुनियां जानती है …

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अब हुए अपने अलविदा

अब हुए अपने अलविदा मुसाफिर अपने हुए* कितने आए कितने चले गए जिन्दगी की राहों पे चलते चलते मुसाफिर मिलते गए किसी ने पूछा हाल क्या है? कैसे दिन चल रहे? अच्छे तो हो | फिर ऐसे लोग भी मिले लेकिन कतराए निकल पड़े इन्हे समय न था दो चार …

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प्रधानमंत्री का संदेश आतंकवाद के विरुद्ध मानक

भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई का दुनिया के सामने प्रतिमान पेश किया   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो टूक , प्रखर औ कार समयानुकूल स्वाभाविक प्रखर आक्रामक तेवर और घोषणाओं के साथ भाव भंगिमाओं को देखने के बाद भारत के अंदर और पूरे विश्व में जिन्हें भी सीमा पार …

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राष्ट्र हमारे लिए राम है

राष्ट्र हमारे लिए राम है 1. क्रान्ति की देशना काव्य का कर्म है, प्रीति हर पंथ के ग्रंथ का मर्म है। मज़हबों के मुरीदो! हमारे लिए, राष्ट्र ही देवता राष्ट्र ही धर्म है।। 2. उसका अनुचिन्तन ललाम है, वो संज्ञा वो सर्वनाम है। राम हमारे लिए राष्ट्र है, राष्ट्र हमारे …

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भेड़ियों के सामने मत वेद मंत्रों को पढ़े

दो मुक्तक भेड़ियों के सामने मत वेद मंत्रों को पढ़े – डाॅ. शिव ओम अम्बर 1. भेड़ियों के सामने मत वेदमंत्रों को पढें, अग्निशर गाण्डीव पे फिर से चढ़ाएँ मान्यवर। जिन दरख़्तों से बग़ीचे को महज़ काँटे मिले, उन दरख़्तों को बग़ीचे से हटाएँ मान्यवर।। 2. तक्षकों के वंशधर जब …

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बहुत आसान है मंचों पे वंदे मातरम् कहना

दो मुक्तक बहुत आसान है मंचों पे वंदे मातरम् कहना हमेशा राष्ट्र-रक्षा के लिए उद्यत सजग रहना प्रकृृति रणबाँकुरों की है कटारें वक्ष पे सहना, बहुत मुश्किल है सीमाओं पे लिखना रक्त से उसको बहुत आसान है मंचों पे वन्दे मातरम् कहना।। 2. रणांगण में प्रखर प्रतिरोध के प्रतिमान की …

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मेरी मां

       मेरी मां                       मेरी मां  नही गाती  थी न लोरी न गीत न  रहीम, रसखान, तुलसी मीरा की प्रीत   जब देती थी थपकी मुझे  सुलाने को , लग जाती थी गम को भुलाने में   फिर भी …

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धर्म पूछकर जिनको मारा उनका भी तर्पण करना है

धर्म पूछकर जिनको मारा उनका भी तर्पण करना है   भारतीय सिंहों नें, रण में गर्जन शुरू किया है। किया आपरेशन सिंदूरी,बदला तनिक लिया है।   भाग नहीं पाएगा कायर,छुपे किसी भी बिल में हर भारत वासी की ईच्छा और इरादा मन मे   क्या होती सिंदूरी कीमत, अब हम …

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मातृभूमि

            मातृभूमि तेरी स्मृति में जाग-जाग तेरी चाहत में रही भाग कुछ तो संकेत किया होता कब तक गाऊँ एकांत राग जिस पर मैंने आँखें खोली जिस पर मेरी पाँखें डोली मेरा पहला रुनझुन गूँजा निकली मेरी पहली बोली मैंने कुछ बीज लगाए थे मैंने …

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