Sunday , May 4 2025

Literature

हे कान्हा

हे कांहा– हे कान्हा केशव माधव मधुसूदन युग मे जाने कितने नाम तुम्हारे।। आएं है ज़िंदगी मे जबसे तुम्ही बसे हर गम खुशी पल प्रहर में संग साथ हमारे।। हे कान्हा केशव माधव मधुसूदन युग मे जाने कितने नाम तुम्हारे।। पुकारे जब भी कोई हृदय से आए दौड़े सांझ सवेरे। …

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‘‘दिनचर्या’’ मेरी डायरी 

मेरी ग़ज़लें मेरी व्याख्या करेंगी- – डाॅ॰ शिव ओम अम्बर    प्रीति गंगवार, फरुखाबाद, उत्तर प्रदेश  द्वारा संकलित  ‘‘दिनचर्या’’ मेरी डायरी हर रचनाकार के जीवन में, यदि वह डायरी लिखता है, तो उसका एक साहित्यिक महत्व भी हो जाता है क्योंकि उसका परिवेश ही शब्दों के वितान से आच्छादित होता …

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प्यार का दीपक

  दीप प्यार का जलाइए … दीप प्यार का जलाइए अंधेरा मिटाइये फरेब झूठ जंजाल का अन्धकार है बहुत दीप एक प्यार का जलाइए।। गर एक दिया भी जल गया दुनियां की इन्तज़ार की दुनियां रोशन जहाँ गुलज़ार सा अंधेरों से उजाले का लौ बनते जाईए।।   कदम कदम पर …

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भारतीय साहित्य में लोकतंत्र

‘भारतीय साहित्य में लोकतंत्र – एक संवाद’ भारतीय भाषा परिषद में आयोजित हुआ सफल आयोजन कोलकाता, 23 जून 2024 को भारतीय भाषा परिषद में ‘भारतीय साहित्य में लोकतंत्र’ – विषय पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय भाषा परिषद और सदीनामा प्रकाशन के सहयोग से किया …

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आम जीवन में मूल्यों को पिरोती कथाएं

सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज में छात्र संगोष्ठी का आयोजन कोलकाता, 20 जून । सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज में ‘हिंदी कहानी : मूल्यांकन के आयाम’ विषयक छात्र संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कॉलेज के टीचर-इन-चार्ज डॉ. सुदिप्तो मिड्डे ने कहा, कहानी जीवन के अनुभव को संचित …

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प्यारी गंगा मैया

                              हर हर गंगे…     कठिन भगीरथ तप वरदान तुम्हे पृथ्वी पर जाने का ,रोके कौन वेग तुम्हारा ।।   शिव शंकर कि अर्घ आराधना भगीरथ कि करुण याचना ।।   भोले कि जटा में …

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देहगाथा

देह-गाथा (लघु खण्ड काव्य ) लेखक – पंकज सुबीर, चित्रांकन- अनीता दुबे समीक्षक – रेखा भाटिया प्रकाशक- शिवना प्रकाशन, पी. सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट, बस स्टैंड के सामने, सीहोर, मप्र 466001 दूरभाष – 07562405545, ईमेल – shivna.prakashan@gmail.com वर्ष – 2024, मूल्य- 250 रुपये, पृष्ठ – 108       …

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ए वहशते दिल क्या करू

पारुल सिंह के संस्मरणात्मक उपन्यास -ऐ वहशते-दिल क्या करूँ, पर आलोचक डॉ. जसविंन्दर कौर की समीक्षा ऐ वहशते-दिल क्या करूं (संस्मरणात्मक उपन्यास) लेखक – पारुल सिंह प्रकाशक – शिवना प्रकाशन, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट, सीहोर मप्र 466001 प्रकाशन वर्ष – 2024 मूल्य- 300 रुपये, पृष्ठ संख्या – 234   जीवन की …

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काबा जाए कि काशी

काबा जाए कि काशी– पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पुरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते । पंडित जी के पास एक अदद झोपडी कि तरह घर था खेती बारी …

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दो सितारे गिरते नजर आते खुले आसमानों में

*दो बदन* चेहरे से चेहरा मिला एक अजीब खामोशी दो लहरे रात अँधेरी एक समुन्दर सी | दो बदन चेहरे से चेहरे का मिलन कभी लगता पहाड़ सा और रातें मरुभूमि सी   दो बदन आँखो आँखों से दिल की जुबान कहती ले जाती जिन्दगी की जड़ो तक फैलाती लड़ियाँ …

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