मत छोड़ना लिखना तुम ………………………….. कवि! सुना है! अपनी ही जड़ों से उखड़ने लगा है आदमी, मैली हो गई हैं नदियाँ, हम काट रहे हैं जंगल, खिसकने लगी हैं पहाड़ की परतें और गमले में आ गया है वृक्ष! तेज, बहुत तेज हो गई है सूरज की तपिश! और बच्चों …
Read More »भीख में आबो-दाना नहीं चाहिए
तुझसे कुछ ऐ ज़माना नहीं चाहिए भीख में आबो-दाना नहीं चाहिए चाल टेढ़ी रखे और न सुधरे कभी उसके दिल में ठिकाना नहीं चाहिए तेरा चहरा नुमाइश न कर दे कहीं दर्द दिल में दबाना नहीं चाहिए हमसफ़र से इसे बाँटना ठीक है बोझ अकेले उठाना नहीं चाहिए हो मुबारक …
Read More »भारत इजरायल नही
भारत इजरायल नहीं – अक्सर लोग उठाते है सवाल सोशल मीडिया पर सवालों की होती भरमार भारत इजरायल नहीं उसमे लड़ने का सामर्थ्य नहीं नहीं है उसमे शत्रुओं को सबक सिखाने का माद्दा दुश्मन देशों को औकात दिखाने का रास्ता। कभी कहते कमजोर सरकार तो कभी मंत्रियों का …
Read More »शांति कायरता नही
शांति कायरता नहीं —- शौर्य पराक्रम प्रगति प्रतिष्ठा कि जननी भरणी सौहार्द शांति सरोवर अमृत हूँ!! विनम्र संस्कृति क्षमा दया करुणा कि गागर सागर मानवता मूल्यों कि शांति मै अवनी हूँ!! संस्कार परमार्थ है मेरा पथ समय काल समाज कल्याण कि देव और देवी समता ममतामयी हूँ!! …
Read More »खून और सिंदूर
खून और सिंदूर—– हार नहीं निर्भीक निडर पथ विजय हमारा कहती है दुनियां जानती है दुनियां भरत भारत कि सेना है हम!! आंख दिखाए गर कोई औकात बता देते है हम माँ भारती के वीर सपूत दुश्मन का नामो निशान मिटा देते है हम कहती है दुनियां जानती है …
Read More »अब हुए अपने अलविदा
अब हुए अपने अलविदा मुसाफिर अपने हुए* कितने आए कितने चले गए जिन्दगी की राहों पे चलते चलते मुसाफिर मिलते गए किसी ने पूछा हाल क्या है? कैसे दिन चल रहे? अच्छे तो हो | फिर ऐसे लोग भी मिले लेकिन कतराए निकल पड़े इन्हे समय न था दो चार …
Read More »राष्ट्र हमारे लिए राम है
राष्ट्र हमारे लिए राम है 1. क्रान्ति की देशना काव्य का कर्म है, प्रीति हर पंथ के ग्रंथ का मर्म है। मज़हबों के मुरीदो! हमारे लिए, राष्ट्र ही देवता राष्ट्र ही धर्म है।। 2. उसका अनुचिन्तन ललाम है, वो संज्ञा वो सर्वनाम है। राम हमारे लिए राष्ट्र है, राष्ट्र हमारे …
Read More »भेड़ियों के सामने मत वेद मंत्रों को पढ़े
दो मुक्तक भेड़ियों के सामने मत वेद मंत्रों को पढ़े – डाॅ. शिव ओम अम्बर 1. भेड़ियों के सामने मत वेदमंत्रों को पढें, अग्निशर गाण्डीव पे फिर से चढ़ाएँ मान्यवर। जिन दरख़्तों से बग़ीचे को महज़ काँटे मिले, उन दरख़्तों को बग़ीचे से हटाएँ मान्यवर।। 2. तक्षकों के वंशधर जब …
Read More »बहुत आसान है मंचों पे वंदे मातरम् कहना
दो मुक्तक बहुत आसान है मंचों पे वंदे मातरम् कहना हमेशा राष्ट्र-रक्षा के लिए उद्यत सजग रहना प्रकृृति रणबाँकुरों की है कटारें वक्ष पे सहना, बहुत मुश्किल है सीमाओं पे लिखना रक्त से उसको बहुत आसान है मंचों पे वन्दे मातरम् कहना।। 2. रणांगण में प्रखर प्रतिरोध के प्रतिमान की …
Read More »मेरी मां
मेरी मां मेरी मां नही गाती थी न लोरी न गीत न रहीम, रसखान, तुलसी मीरा की प्रीत जब देती थी थपकी मुझे सुलाने को , लग जाती थी गम को भुलाने में फिर भी …
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