नीरज जी की ग़ज़लों में जगह-जगह व्यंग्य की अन्तर्धारा के दर्शन होते हैं एक ज़माना था जब ग़ज़ल शब्द का उच्चारण करते ही चित्त में किसी शाही दरबार में मखमली कालीन पे चलती हुई नाज़नीन का बिम्ब जागा करता था, शायरी नायिका के नख-शिख वर्णन की वर्णमाला होकर रह गयी …
Read More »ये कैसा हिंदुस्तान
—भारत कैसे बन गया हिंदस्तान— संस्कृति संस्कार महान सक्षम खुशहाल भारत सोने की चिड़िया कहलाता दुनियां का दिग्दर्शक भारत अब है हिंदुस्तान।। आपस मे लड़ते भिड़ते बात बात पर एक दूजे के लहू के प्यासे शासक भारत की शान!! चंद कबीलों की एकता ताकत का हो गया गुलाम बंट गया …
Read More »डूडल
डूडल (कामचोर) दो -दो डूडल दोनो डूडल बैठ कर करते पटर -पटर पचर -पचर दोनो कुछ भी काम न करते सारा दिन आराम करते आराम कर कभी न थकते बातों में हरदम रमते पटर पटर पचर पचर. दुनिया को कुछ न समझे खुद के ज्ञान पर खुद ही …
Read More »ये शायरी जुबां है किसी बेजुबान की
ये शायरी जुबां है किसी बेजुबान की – गीत-गन्धर्व नीरज की शाश्वती देशना ( भाग १ ) बात आज से लगभग चार दशक पूर्व की है। एक कवि के रूप में मंच पर मेरा आगमन हुए थोड़ा ही समय बीता था। मंच के युवा संचालक के रूप में मुझे सामान्यजन …
Read More »जिंदगी हमनाज है
जिंदगी — जिंदगी हमनाज है जिंदगी अंदाज है जिंदगी अरमा आकाश है!! जिंदगी रिश्ते नातेदार कि है जिंदगी धड़कन सांस कि है जिंदगी आश विश्वास कि है जिंदगी जज्बे जज्बात कि है जिंदगी आपकी है लेकिन नियत के हाथ कि है!! जिंदगी तकदीर का तराना जिंदगी जीने का बहाना जिंदगी …
Read More »कब हम आजाद हुए
कब हम आजाद हुए ये आजादी नहीं दूर्निति और गुलामी का नया स्वरुप है कब हम आजाद हुए? ना हम कभी आजाद थे और ना ही हम आजाद है आजादी सिर्फ एक सपना था हमने आजादी को हासिल किया नहीं मुगलो ने हमें दबाया अंग्रेजो ने भी! बर्षो हम उनके …
Read More »गाथा की शान स्वाभिमान
—– हिन्द की सेना—– बर्फ चट्टानों पे एक हाथ संगीन दूजे हाथ तिरंगा रेतीले तूफानों में खड़ा बना फौलाद देश की सीमाओं मुश्तैद जवान।। नयी नवेली दुल्हन कर रही होती है इंतज़ार ईश्वर से आशीर्वाद मांगती बना रहे सुहाग।। बूढे माँ बाप की पथराई आँखे अपने सपूत का एकटक इंतज़ार …
Read More »योग कर्म धर्म मर्म
योग– योग से निरोग योग से शक्ति भोग योग मार्ग बैराग्य मोक्ष योग अनुशासन आसान योग कर्म धर्म मर्म महात्म्य।। योग संयम जीवन संकल्प योग आत्म बल योग अन्तर्मन बैभव योग नित्य निरंतर योग व्यधि वध अंत।। कोरोना उन्नीस संक्रमण योग योग्य साथ हथियार योग से स्वस्थ प्रसन्न …
Read More »जिंदा इंसान
जिन्दा इंसान — बझे तीर में धार नहीं आती जंग खाई तलवार में मार नहीं आती।। जरुरी नहीं की सांसो धड़कन का आदमी इंसान जिन्दा हो! पुतला भो हो सकता है पुतलों के कदमो की चाल आवाज नहीं आती।। जिन्दा आदमी …
Read More »आग की लपटे
आग की लपटे ये आग की लपटें बड़ी ऊंची है, कहां से कहां पहुंच जाती है क्या क्या निगल जाती है मीलों की दूरी सेकेंड में तय कर आती है भयावह विनाश रच जाती है। जला जाती है सपनों …
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