कान्हा—


हे कान्हा केशव माधव मधुसूदन, युग में जाने कितने नाम तुम्हारे।!
आया हूँ जीवन में जबसे तुम्ही बसे हर गम खुशी पल प्रहर में संग साथ हमारे।!
पुकारे जब भी कोई हृदय से, आए दौड़े सांझ सवेरे!
समय का कोई नहीं है बंधन,
प्रेम भाव ही है तेरा एक बंधन
बांध सके जो उसको तारे!!
हे कान्हा माधव मधुसूदन
युग मे जाने कितने नाम तुम्हारे!!
साँसो धड़कन से नित निरंतर, शब्द स्वरों के साथ हमारे।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे,
हे कान्हा माधव मधुसूदन युग मे जाने कितने नाम तुम्हारे!!
मातु पिता गुरु सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेव।
कुरुक्षेत्र है यह जीवन, नयन दृष्टि है तुम्हारे!
कर्म धर्म का मार्ग बताते, जन्म जीवन रहस्य सुनाते।
तमस मार्ग जीवन में तुम्ही बनते पथ उजियारे।
जब भी नईया उलझे भव सागर भंवर में, तुम्ही एक जो पार लगाते।
हे कान्हा केशव माधव मधुसूदन, युग में जाने कितने नाम तुम्हारे।!
अधरम मधुरम वचन मधुरम, नयनयम मधुरम हसितं मधुरम।
मधुराधिपते रखिलं मधुरम,
मधुर मनोहर भाव छवि तुम्हारे।!
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